कृषि कानून संसद से वापसी के साथ ही अब किसान आंदोलन भी खत्म होने की राह पर है। लेकिन एक साल से ज्यादा वक्त से चल रहे किसान आंदोलन के आखिरी दौर में एक बार फिर किसान नेताओं में बड़ी फूट पड़ गई है। तीनों कृषि कानूनों के संसद से रद्द होने के बाद ज्यादातर किसान संगठन खुश हैं। अब ये किसान वापस अपने घर लौटना चाहते हैं। पंजाब और हरियाणा के किसान नेताओं ने कल संसद से कानून वापसी बिल पास होने के बाद बैठक बुलाकर फैसले का स्वागत किया और आंदोलन खत्म करने की रायशुमारी बनाई हालांकि इस बैठक में राकेश टिकैत को बुलाया नहीं गया जैसे ही टिकैत को पता लगा टिकैत भागे भागे सिंघु बॉर्डर पहुंचे।
और आंदोलन जारी रखने की बात पर अड़े रहे। ये वही राकेश टिकैत हैं जो साल भर बिल वापसी तो घर वापसी की बात करते आए थे लेकिन अब एमएसपी पर अड़े हुए हैं। चढ़ूनी गुट और पंजाब के किसान साफ कह रहे हैं कि अब वो आंदोलन खत्म करेंगे और घर लौटेंगे तो राकेश टिकैत अब भी किसानों के नाम पर सियासत कर रहे हैं और आंदोलन खत्म होने की बात को अफवाह बता रहे हैं।
इस बीच किसान आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे चढ़ूनी गुट के किसान नेता ने खुलकर कहा है कि पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलन खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने राकेश टिकैत का बिना नाम लिए बड़ा आरोप लगाया कि वो सिसायत के लिए आंदोलन को भटकाना चाहते हैं। इतना ही नहीं सतीश नंबरदार ने कहा कि अगर आंदोलन खत्म नहीं हुआ तो अब वो जंतर मंतर पर 12 दिसंबर से भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे।
चढ़ूनी गुट के नेता ही नहीं बल्कि पंजाब के 32 किसान संगठनों ने भी घर वापसी का मन बना लिया है। इन किसान नेताओं का कहना है कि तीन कृषि कानूनों को वापस करने के लिए ही एक साल से आंदोलन चल रहा था। एमएसपी और दूसरी मांगों पर सरकार से बातचीत चलती रहेगी। यही वजह है कि चार दिसंबर को होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक को अब एक दिसंबर यानि तीन दिन पहले ही बुला लिया गया है लेकिन दूसरी तरफ राकेश टिकैत कह रहे है कि एमएसपी कानून नहीं बनता तब तक कोई किसान नहीं जाएगा।
राकेश टिकैत भले ही सियासत कर रहे हो लेकिन कल संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होने वाली है। इस बैठक में वो सभी 42 के करीब किसान संगठनों के नेता होंगे जो विज्ञान भवन में केंद्र सरकार से बातचीत में शामिल थे। उम्मीद यही जताई जा रही है कि कल संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन को खत्म करने को लेकर बड़ा फैसला ले सकता है। अगर कल आंदोलन वापसी का फैसला नहीं हुआ तो किसान संगठनों के बीच फूट और बढ़ना तय है।
ऐसे में सवाल है:-
कल आंदोलन का FINAL DAY?
किसान मोर्चे में फूट, कितना सच ?
टिकैत ही प्रोपेगैंडा के 'रियल टूल'?
किसानों के नाम पर सियासत कर रहे हैं टिकैत ?
किसान Vs टिकैत के किसान EXPOSED?