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किसानों और खेती से जुड़े लोगों को लॉकडाउन से राहत, हाईवे पर ट्रक मरम्मत की दुकानें भी खुली रहेगीं

Updated Apr 04, 2020 | 10:59 IST

कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच देश में ट्रक संचालकों और खेती से जुड़े लोगों के लिए राहत की खबर आई है। किसानों की जरूरत के उपकरणों और ट्रक रिपेयर शॉप को खुले रखने की अनुमति दी गई है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर
मुख्य बातें
  • लॉकडाउन के बीच किसानों और ट्रक चालकों को दी गई राहत
  • बंद के दौरान देश में खेती से जुड़ी गतिविधियां नहीं होगीं प्रभावित
  • खुली रहेगीं खेती उपकरण और ट्रक की रिपेयर व स्पेयर पार्ट्स संबंधी दुकानें

नई दिल्ली: कोरोना लॉकडाउन के बीच लोगों लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। मौजूदा सीजन खेती से जुड़े लोगों के लिए काफी अहम है क्योंकि इसी दौरान फसलों की कटाई की जाती है और कई जगहों पर अगले सीजन की बुवाई की प्रक्रिया शुरु होती है। इसके अलावा देश में सप्लाई चेन के अहम हिस्से के तौर पर काम करने वाले ट्रक संचालकों को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब सरकार ने खेती और ट्रक संचालन से जुड़े लोगों को राहत देने का काम किया है। खेती से जुड़े उपकरणओं, स्पेयर पार्ट्स और ट्रक मरम्मत की दुकानों को लॉकडाउन से छूट दी गई है। यह दुकानें अब खुली रहेंगीं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लॉकडाउन में दी गई छूटों को कुछ लोगों के लिए बढ़ा दिया है। अब लॉकडाउन के बीच खेती उपकरणों और ट्रक से जुड़ी स्पेयर पार्ट्स, रिपेयरिंग और मशीनों संबंधी दुकानें खुली रहेंगीं। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर खेती-किसानी से जुड़ी गतिविधियों को लॉकडॉउन से छूट देने के लिए कहा है ताकि किसान किसी परेशानी के बिना फसलों की कटाई और बुवाई कर सकें।

 NHAI कर रहा ट्रक ड्राइवरों के खाने पीने के इंतजाम, चाय उद्योग को राहत: हाईवे पर अब ट्रक बिना किसी रोक टोक के अपनी गाड़ियों को दुकानों पर ठीक करा सकेंगे। इसके साथ ही चाय उद्योग और बागानों को भी राहत मिली है। इस बीच शर्त रखी गई है कि अधिकतम 50 लोग ही चाय बागान में काम कर सकेंगे।

गृह सचिव ने दोबारा लिखा पत्र: गृह सचिव की ओर से दूसरी बार सभी राज्यों के सचिवों को खेती से जुड़ी गतिविधियां लॉकडाउन में प्रभावित नहीं होने को लेकर पत्र लिखा है। पहले 27 मार्च को इस बारे में जानकारी दी गई थी और कई जगहों से शिकायत आने के बाद 3 अप्रैल को एक बार फिर इस बारे में उन्होंने राज्यों को लिखा है।

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