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Rezang La War Memorial: खास लोगों के बीच खास पल, उद्घाटन के दौरान अलग रूप में दिखे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Rezang La War Memorial, Major Shaitan Singh, Rajnath Singh, 1962 India China Battle
Updated Nov 18, 2021 | 14:02 IST

रेजांग ला वॉर मेमोरियल का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन भारतीय जवानों के अदम्य साहस को याद किया जिनकी वजह से लद्दाख को चीन से बचाने में कामयाबी मिली थी।

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Rezang La War Memorial, Major Shaitan Singh, Rajnath Singh, 1962 India China BattleRezang La War Memorial, Major Shaitan Singh, Rajnath Singh, 1962 India China Battle
120 जवानों ने जब चीन को चटा दी थी धूल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वस्व बलिदान को किया याद
मुख्य बातें
  • रेजांग ला की लड़ाई में लद्दाख को बचाने में कामयाबी मिली
  • 1300 से अधिक चीनी सैनिकों से अचानक बोल दिया था धावा
  • इस लड़ाई में मेजर शैतान सिंह को अदम्य वीरता के लिए परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

18नवंबर का दिन, रेजांग ला भारत के इतिहास में खास है। खास क्यों ना हो उसके पीछे बड़ी वजह है। भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया था। इस लड़ाई में 120 में से 114 भारतीय जवान भी शहीद हो गए थे। शहादत को नमन करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रेजांग ला वॉर मेमोरियल पहुंचगे और नए वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया। इस खास मौके पर उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि दिया और कहा कि रेजांग ला की लड़ाई भारत ही नहीं दुनिया की कुछ खास लड़ाइयों में शामिल है। जिस तरह से भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया उसे सिर्फ शब्दों के जरिए व्यक्त नहीं किया जा सकता बल्कि उसे सदा महसूस किया जा सकता है। 

राजनाथ सिंह का यह अंदाज कुछ अलग था
रेजांग ला वॉर मेमोरियल के उद्घाटन के समय एक दृश्य से सबको भावुक कर दिया जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद  13 कुमाऊं के ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आर वी जातर, की आगवानी की और उनके व्हील चेयर को खुद आगे लेकर गए। आर वी जातर वो शख्स हैं कि  जिन्होंने 1962 के भारत-चीन संघर्ष में बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी।

एक नजर में रेजांग ला की लड़ाई

  1. 18 नवंबर को रेजांग ला में 120 भारतीय जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया था।
  2. पीएलए के सैनिकों ने लद्दाख पर धावा बोल दिया था।
  3. 13 कुमाऊं की एक टुकड़ी ने अदम्य साहस का परिचय दिया था।
  4. चुशुल घाटी की हिफाजत के लिए तैनात थी यह टुकड़ी
  5. टुकड़ी का नेतृत्व मेजर शैतान सिंह कर रहे थे।
  6. मेजर शैतान सिंह ने एक प्लाटून से दूसरी प्लाटून जाकर सैनिकों की मदद की।
  7. शैतान सिंह को अदम्य साहस के लिए 1963 में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।


क्या है रेजांग ला
रेजांग ला जिसे रेचिन ला भी कहा जाता है लद्दाख और स्पंगगुर झील बेसिन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक पहाड़ी दर्रा है।यह दर्रा चुशुल घाटी के पूर्वी वाटरशेड रिज पर स्थित है जिसे चीन अपनी सीमा के रूप में दावा करता है। यह रेजांग लुंगपा घाटी के शीर्ष पर है, जिसमें स्पैंगगुर झील में बहने वाली एक धारा है।


रेचिन ला से करीब 3 किमी दक्षिण पूर्व में एक दर्रा है जो एक अन्य घाटी की ओर जाता है जिसे "रेजांग लुंगपा" भी कहा जाता है। चीन इस दर्रे को रेजांग ला के रूप में मान्यता देता है। रेजांग ला 1962 चीन-भारतीय युद्ध की एक बड़ी लड़ाई का केंद्र बना।

यहां भारत की 13 कुमाऊं बटालियन की एक कंपनी ने चीनी पीएलए सैनिकों को चुशुल घाटी में रिज पार करने से रोकने के प्रयास में अंतिम व्यक्ति से लड़ाई लड़ी थी। 2020-2021 के दौरान चीन-भारत की झड़पों के दौरान, रेजांग ला फिर से दोनों सेनाओं के बीच एक प्रमुख आमने-सामने की जगह थी। जिसके बारे में माना जाता है कि इसने भारत को रणनीतिक लाभ दिया और चीन को विवश करने के लिए मजबूर किया।

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