नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट - Safety of Journalists Covering Protests – Preserving Freedom of the Press During Times of Civil Unrest, में कहा गया है कि वर्ष 2020 में जनवरी और जून के बीच, बड़ी संख्या में पत्रकारों पर हमले किये गए हैं, उन्हें गिरफ़्तार किया गया और यहाँ तक कि कुछ पत्रकारों की मौत भी हुई है।
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ाउले ने रिपोर्ट जारी करते हुए ध्यान दिलाया कि किसी तरह की अशान्ति के बारे में नागरिकों को सही जानकारी मुहैया कराना और उस स्थिति पर सरकारी अधिकारियों का पक्ष भी मुहैया कराना, लोकतान्त्रिक समाजों के आज़ाद वजूद के लिये बहुत अहम है। उन्होंने कहा, “प्रदर्शनकारी आन्दोलनों के बारे में रिपोर्टिंग करने और आम लोगों को जानकारी मुहैया कराने में पत्रकारों के बहुत अहम भूमिका है।”
बल प्रयोग का बड़ा दायरा
यूनेस्को की जाँच-पड़ताल में जानकारी मिली है कि पिछले पाँच वर्षों के दौरान पुलिस व सरकारी सुरक्षा बलों द्वारा ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से बल प्रयोग में तेज़ बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले एक वर्ष के दौरान ही पुलिस व सुरक्षा बलों ने 30 से ज़्यादा प्रदर्शनों में बाधाएँ खड़ी की हैं, जोकि वर्ष 2015 में ऐसे मामलों की तुलना में दो गुना ज़्यादा हैं।
रिपोर्ट में पाया गया है कि इस अवधि के दौरान विश्व के अनेक हिस्सों में आर्थिक अन्याय, सरकारी क्षेत्रों मे व्याप्त भ्रष्टाचार, कम होती राजनैतिक स्वतन्त्रताओं और बढ़ते सर्वाधिकारवाद को लेकर चिन्ताओं के तहत प्रदर्शन हुए हैं। रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया कि कि किस तरह प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के साथ बल प्रयोग व दुर्व्यवहार किया गया, उन पर हमला करने में जान लेवा व अन्य तरह के बारूदों का इस्तमाल किया गया, उन्हें बन्दी बनाया गया और उनका अपहरण किया गया।
और ज़्यादा प्रयासों की ज़रूरत
यूनेस्को ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिये बनी कमेटी का ज़िक्र करते हुए कहा कि कुछ प्रदर्शनों के दौरान तो विभिन्न उल्लंघनों के 500 से ज़्यादा मामले हुए। ज़्यादा नस्लीय न्याय की माँग करने वाले ब्लैक लाइव्स मैटर आन्दोलन से जुड़े प्रदर्शनों के दौरान तो रबर गोलियों और मिल्च की गोलियों का इस्तेमाल किया गया, जिनके कारण अन्क पत्रकारों की आँखों की रौशनी जाती रही।
यूनेस्को प्रमुख ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि ये संगठन अनेक वर्षों से ये सुनिश्चित करने के लिये विश्व भर में जागरूकता बढ़ाने में लगा हुआ है कि पत्रकार अपना कामकाज निडर व निर्भीक तरीक़े से कर सकें. संगठन ने अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर अन्तरराष्ट्रीय मानकों के बारे में सुरक्षा बलों व न्यायपालिका से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करने का काम भी जारी रखा है। अलबत्ता, यूनेस्को प्रमुख ने आगाह करते हुए कहा कि रिपोर्ट में सामने आए आँकड़ों से नज़र आता है कि अभी और ज़्यादा प्रयास करने की ज़रूरत है।
बेहतर सुरक्षा की गारण्टी
रिपोर्ट में पत्रकारों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मीडिया संगठनों से लेकर राष्ट्रीय स्तर के अधिकारियों और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के लिये कुछ ठोस सिफ़ारिशें भी पेश की गई हैं। पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये पुलिस व क़ानून लागू करने वाले एजेंसियों से जुड़े अन्य लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और मीडियाकर्मियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने के बारे में प्रशिक्षण को ज़्यादा मज़बूत व व्यापक बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
अन्य प्रस्तावों में, नियमित पत्रकारों और फ्रीलान्सर पत्रकारों को समुचित प्रशिक्षण दिया जाना भी शामिल है जो प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग करते हैं। साथ ही प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर बल प्रयोग करने के मामलों में पुलिस की जवाबदेही तय करने के लिये एक राष्ट्रीय लोकपाल की नियुक्ति की जाए।
कन्धे से कन्धा मिलाकर सहयोग
यूनेस्को प्रैस की स्वतन्त्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी बरक़रार रखने के लिये पुलिस व सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण देने सहित सदस्य देशों को तकनीकी सहायता मुहैया कराता है। यूनेस्को प्रमुख ने कहा, 'हम अन्तरराष्ट्रीय समुदाय और तमाम सम्बद्ध अधिकारियों से इन बुनियादी अधिकारों की गारण्टी का माहौल सुनिश्चित करने आहवान करते हैं।'