- बीरभूम हिंसा की गूंज संसद में सुनाई दे रही है।
- बीजेपी सांसद रूपा गांगुली ने इस मुद्दे को उठाया।
- उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का भी बुरा हाल है।
Birbhum violence case : पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा का मामला अब सियासी तूल पकड़ता जा रहा है। बीजेपी लेफ्ट कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां ममता सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है। आज ममता बनर्जी की सरकार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब कोलकाता हाईकोर्ट ने बीरभूम हिंसा के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी और राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी को जांच करने से रोक दिया।
बीरभूम में हुई हिंसा के मामले में की गूंज पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में भी सुनाई दे रही है। कल तृणमूल कांग्रेस के सांसदों का एक प्रतिनिधि मंडल सुदीप बंधोपाध्याय की अगुवाई में गृह मंत्री से मिला था। जबकि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को बीरभूम पहुंचने से पहले ही स्थानीय प्रशासन ने रोक दिया। भाजपा के पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष शुभेंदु अधिकारी सहित कई विपक्षी नेता बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुके हैं।
आज एक बार फिर संसद में बीरभूम हिंसा की गूंज सुनाई दी। बीजेपी सांसद रूपा गांगुली इस नेशंस हत्या की आवाज उठाते हुए भावुक हो गई। रूपा गांगुली ने खुशी जताई कि कोलकाता हाईकोर्ट ने इस हिंसा के मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है। उनका कहना था कि आज जो बंगाल में हिंसा का माहौल है उसमें राज्य सरकार द्वारा किसी भी तरह की जांच पर लोगों का भरोसा नहीं रह गया।
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रूपा गांगुली ने आरोप लगाया की ममता बनर्जी कहती है कि कोई छींक ले उसपर भी लोग कोर्ट चले जाते हैं, ममता बनर्जी के लिए लोगों को जिंदा जलाकर मारना छींकने के बराबर है। सदन में बोलते हुए गांगुली भावुक हो केंद्र सरकार से अपील की इस मामले में जल्द सीबीआई की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को कड़ी सजा दिलवाई जाय।
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रूपा गांगुली ने पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के बुरे हाल का भी जिक्र किया। पश्चिम बंगाल में मीडिया में हाल बुरा है,लोग पलायन कर रहे हैं। प्रशासन से छुप रहे हैं कही पुलिस पूछ लें और TMC वाले आकर उन्हें भी मार देंगे। जिसके अंदर संवेदना है वो भावुक होगा।
बीरभूम की हिंसा का मामला पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए गले की हड्डी बन गया है। हाल के दिनों में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से जिस तरह से पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का दौर जारी है जिस तरह से विपक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है, बंगाल के पुलिस प्रशासन पर अब किसी का भरोसा नहीं रह गया।