- किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देने की जरूरत है। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी आगे की बात है।
- BKS का आरोप: संयुक्त किसान मोर्चा शुद्ध राजनीति कर रहा है, उसे किसानों से कोई लेना-देना नहीं है।
- लाभकारी मूल्य की गारंटी मिलनी चाहिए और जरूरत पड़े तो नया कानून लाया जाय।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) का कृषि संगठन भारतीय किसान संघ (BKS) 8 सितंबर से नए कृषि कानूनों में बदलाव को लेकर देशव्यापी आंदोलन करने जा रहा है। उनका यह आंदोलन इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि भारतीय किसान संघ, भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस का ही अंग है। ऐसे में क्या वह अब संयुक्त किसान मोर्चे की तरह नए कृषि कानूनों को रद्द कराना चाहता है? या फिर उसके कुछ और इरादे हैं। इस पर भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्री नारायण ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बात की है।
संयुक्त किसान मोर्चा के रुख का समर्थन ?
संयुक्त किसान मोर्चा शुद्ध राजनीति कर रहा है। उसे किसानों से कोई लेना-देना नहीं है। वह बेवजह की मांग कर रहे हैं। वो तो कानून वापसी नहीं सरकार वापसी की मांग कर रहे हैं। इसलिए हमारा उनसे कोई मतलब नहीं है। हम तो कानूनों में संशोधन की बात कर रहे हैं। कानून वापसी कोई रास्ता नहीं है। बेहद मुश्किल से कृषि क्षेत्र में सुधार की कोशिश हो रही है। उसके लिए कानून आया है, सभी क्षेत्रों में सुधार हो चुके हैं, ऐसे में कृषि सुधारों को लटाकर क्यों रखा जा रहा है ?
नए कृषि कानून में कौन से बदलाव की जरूरत ?
हमारी मांग है कि किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाय। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी आगे की बात है। देश भर के किसानों की मांग है कि नए कानून में संशोधन कर लाभकारी मूल्य को लागू किया जाय।
किसान केवल फसल उगाने तक सीमित क्यों रहें। उसे प्रोसेसिंग, भंडारण, कुटीर उद्योग, कोल्ड चेन जैसे बिजनेस में क्या मौके नहीं मिलना चाहिए? क्या उसमें जीवनभर व्यापारी ही रहेंगे ? इसलिए कृषि कानून में संशोधन की जरूरत है। किसान अब भी ये सब कर सकता है लेकिन कानून के जरिए किसान को इस तरह के काम का हक मिलना चाहिए।
इसके अलावा किसानों के पेमेंट सभी दूसरे विवाद के लिए कृषि न्यायालय की खोलने की जरूरत है। व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन भी होना जरूरी है। इस तरह के प्रमुख संशोधन की जरूरत है।
लाभकारी मूल्य और एमएसपी में क्या अंतर है ?
देखिए अभी जो एमएसपी की गणना की जाती है, वह लाभकारी मूल्य नहीं है। अभी तो एमएसपी अतंरराष्ट्रीय बाजार की तुलना कर और औसत लागत के आधार और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को देखते हुए एमएसपी तय कर जाती है। यह कैसे नुकसानदेह है, इसे ऐसे समझा जा सकता है। पंजाब में बिजली और पानी किसानों को मुफ्त में मिलता है। और राजस्थान में किसानों को पानी और बिजली बहुत महंगी है। ऐसे में अगर औसत के आधार पर रेट तय होंगे, तो पंजाब के किसानों की बहुत फायदा होगा। इसलिए गणना का आधार एग्रो क्लाइमेट जोन के आधार पर होना चाहिए। इन सब मुद्दों पर बैठकर बात होनी चाहिए।
MSP की गारंटी की जरुरत ?
लाभकारी मूल्य के आधार के आधार पर एमएसपी तय होना चाहिए और उसकी गारंटी होनी चाहिए। और अगर जरूरत पड़े तो अलग से कानून लाना चाहिए। यह समय की जरुरत है। क्योंकि कब तक किसान घाटे में रहेगा।
आरएसएस से जुड़े होने के बावजूद विरोध क्यों ?
इस भ्रांति से नहीं जुड़े रहना चाहिए। लोगों को समझना चाहिए कि हम किसान संगठन हैं। और किसान के हितों के बारे में बात करना और उसके लिए संघर्ष करना ही हमारा काम है। ऐसे में जब हमारा दबाव बढ़ेगा, तभी तो सरकार पर असर होगा। इसलिए यह नहीं सोचना चाहिए आरएसएस का संगठन है तो वह विरोध नहीं करेगा। किसान का हित ही सबसे उपर है।