- ब्रू जनजाति के खिलाफ मिजो उग्रवादियों ने जमकर हिंसा की थी, ब्रू समाज से जुड़े लोग रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं
- मिजोरम, त्रिपुरा और केंद्र सरकार के बीच समझौता हुआ और रिलीफ पैकेज के लिए 600 करोड़ का किया गया था ऐलान
- समझौते के तहत ब्रू शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाना था।
नई दिल्ली। उत्तरी त्रिपुरा जिले के डोलुबारी गांव में ब्रू शरणार्थियों को बसाने का मुद्दा गरमा गया है। स्थानीय लोग ब्रू शरणार्थियों को बसाये जाने का विरोध कर रहे हैं। लोगों वे विरोध में गाड़ियों में आग लगा दी और पुलिस पर पत्थरबाजी की जिसके जवाब में पुलिस मे आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया। प्रदर्शनकारियों ने मिजोरम से ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास का विरोध किया, और उत्तरी त्रिपुरा जिले के डोलुबरी गांव में वाहनों में आग लगा दी।
ब्रू समाज के लोगों को बसाने पर हंगामा
प्रदर्शनकारी राज्य में मिजोरम से ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास के विरोध में उत्तरी त्रिपुरा जिले के डोलुबरी गांव में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया।मौके पर भारी सुरक्षा तैनात की गई है, हालात पर नियंत्रण पाने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे गए। पुलिस ने स्थानीय लोगों से अपील करते हुए कहा कि वो लोग किसी भी असामाजित संगठन के बहकावे में ना आए। ब्रू शरणार्थियों की वजह से स्थानीय लोगों के हितों पर किसी तरह का नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
ब्रू शरणार्थी के मुद्दे पर हुआ था समझौता
ब्रू शरणार्थी के मुद्दे पर त्रिपुरा, मिजोरम और केंद्र सरकार के बीत समझौता हुआ था।। समझौते के तहत केंद्र सरकार ने 600 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था। समझौते के बाग गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी दी थी कि त्रिपुरा में लगभग 30,000 ब्रू शरणार्थियों को बसाया जाएगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि ब्रू शरणार्थी कौन हैं और वो लोग भारत में कब से रह रहे हैं।
कौन हैं ब्रू शरणार्थी
ब्रू शरणार्थी किसी दूसरे देश से नहीं आए हैं, मिजोरम में मिजो आतंकी इस जनजाति के लोगों को बाहरी समझते थे और उस वजह से उन्हें निशाना बनाते थे। ब्रू को रियांग जनजाति भी कहते हैं।1995 में यंग मिजो एसोसिएशन और मिजो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ब्रू जनजाति को बाहरी घोषित किया और 1997 का साल ब्रू लोगों के लिए काला वर्ष साबिक हुआ। उनके खिलाफ हिंसा में दर्जनों गावों के सैकड़ों घर जला दिए गए। उसके बाद से ब्रू लोग तब से जान बचाने के लिए रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं।