- निवर्तमान सीजेआई एस ए बोबड़े शाहरुख खान को अयोध्या केस में मध्यस्थ बनाना चाहते थे।
- अयोध्या केस के समाधान के लिए तीन मध्यस्थ बने थे
- 2019 में अदालत के जरिए अयोध्या विवाद का हुआ था समाधान
नई दिल्ली। अयोध्या मामले का समाधान निकल चुका है। राम मंदिर के भव्य निर्माण का काम भी शुरू हो चुका है। इन सबके बीच एक रोचक जानकारी फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के संबंध में आई। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सीनियर वकील विक्रम सिंह ने कहा कि सीजेआई रहे एस ए बोबड़े, शाहरुख खान को अयोध्या विवाद में मध्यस्थ बनाना चाहते थे। बता दें कि 2014 में रंजन गोगोई वाली पीठ में एस ए बोबड़े सदस्य थे।
तो शाहरुख बने होते मध्यस्थ
चीफ जस्टिस के विदाई समारोह के मौके पर इस संबंध में खुलासा हुआ। एस ए बोबड़े चाहते थे कि शाहरुख खान भी अयोध्या भूमि विवाद के समाधान की मध्यस्थता प्रक्रिया का हिस्सा हों। विदाई वाले दिन निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि वह खुशी, सद्भाव और बहुत अच्छी यादों के साथ उच्चतम न्यायालय से विदा ले रहे हैं और इस संतोष है कि उन्होंने अपना बेहतर काम किया है।
लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा
विक्रम सिंह ने कहा कि शाहरुख खान भी इसके लिए सहमत थे लेकिन यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। जब अयोध्या मामले की सुनवाई के शुरुआती चरण में थे तब उनका यह दृढ़ मत था कि समस्या का समाधान मध्यस्थता के जरिए हो सकता है। जहां तक अयोध्या विवाद की बात है, मैं आपको अपने और न्यायमूर्ति बोबड़े का एक राज बताता हूं। जब वह सुनवाई के शुरुआती दौर में थे उन्होंने पूछा कि था कि क्या शाहरुख खान समिति का हिस्सा हो सकते हैं। क्योंकि वह जानते थे कि मैं खान के परिवार को जानता हूं। मैंने खान से इस मामले पर चर्चा की और वह इसके लिये सहमत थे।
शाहरुख चाहते थे इस तरह मामला सुलझे
विक्रम सिंह कहते हैं कि खान ने यहां तक कहा कि मंदिर की नींव मुसलमानों द्वारा रखी जाए और मस्जिद की नींव हिंदुओं द्वारा। लेकिन मध्यस्थता प्रक्रिया विफल हो गई और इसलिये यह योजना छोड़ दी गई। सांप्रदायिक तनाव को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने की उनकी इच्छा जबरदस्त थी। मध्यस्थता समिति में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू थे।