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'रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर, तो...', सलमान खुर्शीद ने कुछ ऐसे कसा सिब्‍बल पर तंज

Updated Nov 17, 2020 | 20:28 IST

Salman Khurshid on Kapil Sibal: बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर सवाल करने वाले नेताओं पर कटाक्ष करते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा कि कई सहयोगी आदतन संदेह करने वाले हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
'रहे देखते औरों के ऐबो हुनर...' खुर्शीद का सिब्‍बल पर तंज
मुख्य बातें
  • कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि पार्टी के कई सहयोगी आदतन संदेह करने वाले हैं
  • मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की एक शायरी का जिक्र करते हुए खुर्शीद ने सिब्‍बल पर तंज किया
  • उन्‍होंने कहा कि हमें सत्‍ता में आने के लिए शॉर्टकट की बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को लेकर सवाल करने वाले नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके कई ऐसे पार्टी सहयोगी हैं जो आदतन संदेह करने वाले हैं और समय-समय पर बेचैनी से घिर जाते हैं। खुर्शीद ने कहा कि अगर लोग कांग्रेस की उदारवादी मूल्यों की राजनीति को समर्थन नहीं दे रहे हैं तो पार्टी को बीच का रास्ता अपनाने के बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।

उन्होंने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की एक शायरी का उल्लेख करते हुए कहा, 'न थी हाल की जब हमें खबर, रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर, तो निगाह में कोई बुरा न रहा...। बहादुर शाह ज़फर और उनके ये शब्द हमारे पार्टी के उन कई सहयोगियों के लिए सार्थक उपमा की तरह हो सकते हैं जो समय-समय पर बेचैनी से घिर जाते हैं।'

'...तो वे तत्काल छींटाकशी करने लगते हैं'

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'जब हम अच्छा करते हैं, तो निश्चित रूप से कुछ हद तक वे इसे स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन जब हम कम प्रदर्शन करते हैं और बुरा भी नहीं करते हैं तो वे तत्काल छींटाकशी करने लगते हैं। उन्होंने पार्टी के प्रदर्शन पर सवाल करने वाले नेताओं को 'आदतन संदेह करने वाला' करार दिया और कहा, 'हम सभी अपनी पार्टी के निरंतर दुर्भाग्य से परेशान और दुखी हैं। इस स्थिति को कुछ लोग हमारे दुस्साहस के तौर पर पेश करते हैं। लेकिन कुछ ऐसी चीज है जिसे हम विश्वास कहते हैं, जो जरूरी नहीं है कि अंधा हो, लेकिन यह भाग्य में होता है।'

खुर्शीद ने इस बात पर जोर दिया, 'यदि मतदाता उन उदारवादी मूल्‍यों को अहमियत नहीं दे रहे जिनका हम संरक्षण कर रहे हैं तो हमें सत्‍ता में आने के लिए शॉर्टकट तलाश करने के बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।' उन्होंने लिखा, 'सत्‍ता से बाहर हो जाना सार्वजनिक जीवन में आसानी से स्‍वीकार नहीं किया जा सकता लेकिन यदि यह मूल्‍यों की राजनीति का परिणाम है तो इसे सम्‍मान के साथ स्‍वीकार किया जाना चाहिए। यदि हम सत्‍ता हासिल करने के लिए अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करते हैं तो इससे अच्‍छा है कि हम ये सब छोड़ दें।'

सिब्‍बल ने क्‍या कहा था?

गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अंग्रेजी दैनिक 'इंडियन एक्सप्रेस' को दिए साक्षात्कार में कथित तौर पर कहा है कि ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों के नतीजों से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं। कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने भी कथित तौर पर कहा था कि बिहार चुनाव को लेकर पार्टी को आत्मचिंतन करना चाहिए।
 

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