- सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम जेल से रिहा
- अब्दुल्ला ने कहा- दमन खत्म होंगे और 10 मार्च को उत्पीड़क का तख्तापलट होगा
- आजम खान अभी भी जेल में हैं...उन पर भी कई केस दर्ज हैं
688 दिन बाद समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम जेल से रिहा हो गए हैं। रामपुर कोर्ट ने उन्हें सभी 43 मामलों में जमानत दे दी है। वो करीब 23 महीनों से सीतापुर की जेल में बंद थे। 43 मामलों में रामपुर कोर्ट से रिहाई आदेश आने के बाद जेल प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई करते हुए अब्दुल्ला को रिहा कर दिया। अब्दुल्ला आजम अपने पिता सांसद आजम खान के साथ कई मामलों में सीतापुर की जेल में 27 फरवरी 2020 से बंद थे। आजम के छोटे बेटे अब्दुल्ला पर उनके पिता के साथ चोरी से लेकर रंगदारी और जालसाजी तक के 43 मामले दर्ज हैं।
जेल में बंद अब्दुल्ला आजम की रिहाई को लेकर सुबह से ही जेल गेट से लेकर आसपास हलचल शुरू हो गई थी। लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि जब अब्दुल्ला आजम के ऊपर कई संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं, तो क्या वह चुनाव लड़ने के योग्य हैं? जानकार कहते हैं कि वह चुनाव लड़ने के पूरी तरह से योग्य हैं। आज की तारीख में अब्दुल्ला आजम के ऊपर चल रहे मुकदमों के जो हालात हैं, उसके मुताबिक उनके चुनाव लड़ने पर कोई पाबंदी नहीं होगी। उन्हें अभी तक किसी भी मुकदमे में सजा नहीं हुई है। सभी ट्रायल में हैं और सभी में गवाही चल रही है।
'मेरे पिता को जेल में जान का खतरा'
बाहर आकर उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि अदालतें न्याय दें। मैं चुनाव लडूंगा भी और जीतूंगा भी,आजम खान 9 बार विधायक रहें वे ऐसे मुकदमे में जेल में बंद है जिसमें 8 लोगों को अग्रिम जमानत मिल गई है। इस बार अखिलेश जी 200% मुख्यमंत्री बनेंगे। मैं केवल एक ही बात कहूंगा कि 10 मार्च के बाद जुल्म खत्म हो जाएगा और जुल्म करने वाले को भी गद्दी से उतार दिया जाएगा। जेल से छूटकर रामपुर पहुंचने पर सपा नेता अब्दुल्ला आजम ने कहा कि रामपुर में मौजूदा अधिकारियों के रहते इस मंडल में निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकता। सब दिशानिर्देश सिर्फ विपक्ष के लिए हैं...जो जुल्म हम पर हो सकते थे, वो किए गए। आज भी मेरे पिता को वहां (जेल में) जान का खतरा है।
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2017 में लड़ा था विधानसभा चुनाव
आजम की पत्नी तजीन फातिमा को दिसंबर 2020 में सीतापुर जेल से रिहा किया गया था। वह भी कई मामलों में सह-आरोपी हैं। आजम खान के खिलाफ 70 से अधिक मामले दर्ज हैं। उन्हें अभी तक जमानत नहीं मिली है। अब्दुल्ला 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर स्वार निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे। हालांकि, उनके खिलाफ एक मामले की सुनवाई करते हुए 2019 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के विधायक के रूप में उनके चुनाव को इस आधार पर रद्द कर दिया कि वह कम उम्र के थे और 2017 में चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं थे।
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