- यूक्रेन परमाणु नहीं छोड़ता तो रूस नहीं छेड़ता ?
- यूक्रेन संकट दुनिया के लिए सबक क्या है ?
- अपने बाजू में दम, तभी 'राष्ट्रप्रथम'?
सवाल पब्लिक का : कल से आप यूक्रेन में तबाही देख रहे हैं। रूस की शक्ति के आगे यूक्रेन बेबस नजर आ रहा। रूस की सेनाएं यूक्रेन की राजधानी कीव को तीन तरफ से घेर चुकी हैं। युद्ध से पहले जो अमेरिका यूक्रेन के साथ होने की डींगें हांक रहा था वो दूर खड़ा हो हो गया। यूक्रेन में संग्राम के बावजूद बाइडेन ने मदद के लिए सेना भेजने से हाथ खड़े कर दिए। नाटो ने भी यूक्रेन के लिए सैनिक भेजने से इनकार कर दिया, बहाना ये यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं। यूक्रेन के बेबस राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत की पेशकश की। आज उनका दर्द भी सामने आया है। इस सुबह हम अकेले अपना देश बचा रहे हैं। कल की तरह, दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश दूर से देखता रहा। इसीलिए आज पब्लिक का ये सवाल हम उठा रहे हैं कि यूक्रेन संकट का सबक क्या है ?
भारत आज परमाणु ताकत है, परमाणु ताकत हासिल करने के लिए तब की वाजपेयी सरकार ने आर्थिक प्रतिबंधों की रत्ती भर परवाह नहीं की। क्या भारत ताकतवर नहीं होता तो चीन, गलवान में भी वही करने की कोशिश करता जो रूस ने यूक्रेन में किया? रूस के मिलिट्री टैंक यूक्रेन की राजधानी कीव तक पहुंच गए हैं। रूस के रक्षा मंत्रालय ने कीव के Gostomel Airfield पर कब्जे का दावा किया है। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस से बातचीत की पेशकश की। रूस मिंस्क में अपना डेलिगेशन भेजने को तैयार है।
यूक्रेन में चीख पुकार मची है। रूसी टैंक कीव में घुस चुके हैं। यूक्रेन के कई दूसरे अहम शहरों को रूस की मिसाइलें निशाना बना रही हैं। कभी बड़ी परमाणु ताकत वाला यूक्रेन क्यों रूस के आगे एकदम से धराशायी होता दिख रहा है।
रूस-यूक्रेन जंग की 10 कहानियां
- पहली तस्वीर कीव की है जो यूक्रेन के गृहमंत्री के एडवाइजर ने जारी की है। कीव के डारिंट्स्की रीजन में यूक्रेन के एयर डिफेंस सिस्टम ने रूस के एयरक्राफ्ट को तबाह कर दिया। ऊंची इमारतों के बीच एयरक्राफ्ट आग की लपटों में तब्दील हो गया।
- यूक्रेन में सेना ही नहीं बल्कि आम लोगों ने भी हथियार उठा लिए हैं। देखिए कीव के लोग बक्से में रखी बंदूकों को उठा रहे हैं। शायद यूक्रेन के लोगों ने ये ठान लिया है कि अपनी खुद की सुरक्षा के साथ साथ देश की भी सुरक्षा करनी है।
- कभी जो सड़कें लोगों से गुलजार हुआ करती थीं आज उनमें सेना हथियारों के साथ इस तरह घूम रही है। किसने सोचा था कि यूक्रेन की राजधानी को ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा।
- अगली तस्वीर यूक्रेन के स्टारोब्लेस्क की है, जहां जंग ने ऐसी तबाही मचाई कि लोगों के आशियाने जल गए। जिन घरों को बनाने के लिए इन लोगों ने पाई-पाई इकट्ठा की थी आज उनकी आंखों के सामने उनके आशियाने खाक में बदल गए।
- एक METROPOLITAN शहर जो एक देश की राजधानी है। जहां ऊंची इमारतें, सड़कें और पुल बनाए गए थे, आज यूक्रेन की सेना को अपने देश के लिए बनाए गए पुल ही बर्बाद करने पड़े। वो इसलिए ताकि रूसी सेना कीव के भीतरी इलाके में ENTRY ना ले पाए
- ओब्लॉन में ये लोग रूस और यूक्रेन की सेना में हो रही CROSS FIRING में फंस गए और अपनी जान बचाने के लिए भागने को मजबूर हो गए।
- डनिप्रो के इस अस्पताल में मासूम बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए ICU को बेसमेंट शिफ्ट कर दिया गया।
- यूक्रेन के लोग डरे हुए तो जरूर हैं लेकिन उनकी हिम्मत अब भी बाकी है। इस तस्वीर में देखिए, लोग BLOOD DONATE करने के लिए लंबी LINES में लगे हुए हैं, ताकि जब सेना को जरूरत पड़े तो उन्हें खून की कमी ना हो।
- ये अगली तस्वीर अपने आप में ही सब बयां करने के लिए काफी है। कीव में एक पिता अपनी बच्ची से लिपटकर रो रहा है।
- कीव में युद्धक वाहनों की इस कतार को देखिए। यहां Z मार्क के कई वहान आपको देखने को मिलेंगे। जंग की ये तस्वीरें बहुत डरावनी और दिलदहलाने वाली हैं
ये यूक्रेन से आई वो ताजा तस्वीरें थी जिसे हमने आपके सामने रखा। लेकिन दर्शकों रूस के हमलों का सामना कर रहे यूक्रेन की मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा। हमने पहले भी कहा कि ये वही यूक्रेन है जो कभी बड़ी परमाणु ताकत था।
- यूक्रेन, सोवियत यूनियन का दूसरा शक्तिशाली गणराज्य था।
- 1991 में रूस से अलग होने के बाद यूक्रेन तीसरा सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर बना।
- यूक्रेन के पास 5000 परमाणु हथियार थे। आज इंडिया के पास करीब 150 परमाणु बम बताए जाते हैं।
- लेकिन 1994 के बुडापेस्ट समझौते से यूक्रेन ने परमाणु ताकत नष्ट कर दी। रूस, अमेरिका और ब्रिटेन ने बुडापेस्ट समझौता कराया था।
अब परमाणु वाली ताकत हासिल करने पर भारत की यूक्रेन से तुलना कीजिए। भारत ने जब 1974 और 1998 के पोखरण विस्फोटों से परमाणु ताकत हासिल की तो भारत को कड़े प्रतिबंध झेलने पड़े। 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद भारत को Foreign Assistance Act के तहत मिलने वाली आर्थिक मदद रोकी गई। भारत को 513 लाख डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा। लेकिन भारत ने यूक्रेन की तरह दबाव में आकर NPT संधि पर दस्तखत नहीं किए।
सवाल पब्लिक का है
1. अगर यूक्रेन परमाणु ताकत नहीं छोड़ता तो रूस आक्रमण नहीं करता ?
2. यूक्रेन की बर्बादी ने भारत के पोखरण वाले स्टैंड को सही साबित किया ?
3. ताकतवर भारत ही चीन के विस्तारवाद को रोक सकता है ?