Sawal Public Ka : कानपुर में हुई हिंसा की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। इन परतों में साजिश के सबूत धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। और सामने आ रहा है राजनीति और हिंसा करने वालों का ऐसा गठजोड़ जो देश के लिए खतरनाक है। Times Now नवभारत ने आज कानपुर हिंसा पर एक बड़ा खुलासा किया। हिंसा के आरोपी निजाम कुरैशी के बनाये व्हॉट्सएप ग्रुप में हिंदुओं के आर्थिक बायकॉट की बातें हो रही थीं। इस ग्रुप से समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ वाजपेयी और इरफान सोलंकी जुड़े हुए थे। ये तीनों ग्रुप एडमिन भी थे। Times Now नवभारत पर खबर चलने के बाद दोनों विधायक व्हॉट्सएप ग्रुप छोड़ चुके हैं। लेकिन पब्लिक सवाल पूछ रही है कि क्या कानपुर की हिंसा योगी मॉडल पर चोट पहुंचाने के लिए की गई? आखिर हिंसा के आरोपी से राजनीतिक पार्टी के नेताओं का रिश्ता क्या कहलाता है?
''टीम निजाम कुरैशी'' नाम से बना नफरती व्हॉट्सएप ग्रुप 3 जून की हिंसा से बहुत पहले बना था। लेकिन, बंद के नाम पर कैसे समाज को बांटा जा रहा था। इसे समझना बहुत जरूरी है। इसमें जिन दुकानदारों के बायकॉट की बात हो रही थी उनका नाम लिखा हुआ था। इसमें लिखा था कि दयाराम नमकीन हाउस, बंसीलाला जनरल स्टोर, गुप्ता जी घास वाले, गुप्ता जी कूलर वाले और सुमित फलवाला को जैसे हमने सिर पर बैठाया है, वैसे इनको नीचे उतार सकते हैं। साफ है कि नफरत का संदेश देने वाले लोग इन दुकानदारों को निजी तौर पर जानते थे।
जब इनके व्हाट्स एप ग्रुप की खबर टाइम्स नाउ नवभारत ने 12 बजकर 10 मिनट पर चलाई और उसके चंद मिनट बाद ये लोग ग्रुप से EXIT कर गए। अब जरा व्हॉट्सएप ग्रुप से जुड़े रहे दोनों समाजवादी विधायकों की सफाई भी सुन लीजिए। विधायक जनता के प्रतिनिधि होते हैं। उन्होंने संविधान के नाम पर शपथ ली हुई होती है। लेकिन ऐसे रवैये पर सवाल सिर्फ विधायकों पर ही नहीं उठते। वो जिस पार्टी की नुमाइंदगी करते हैं, उन पर भी उठते हैं।
कानपुर के आर्यनगर से विधायक अमिताभ वाजपेयी और सीसामऊ से विधायक इरफान सोलंकी की फोटो हिंसा के मुख्य आरोपी जफर हयात हाशमी के साथ भी सामने आ चुकी है। हम ये नहीं कर रहे हैं कि तस्वीरें साथ आ जाने से उनका संबंध हाशमी के साथ जुड़ रहा है। लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हर किसी के साथ विधायकों-मंत्रियों की तस्वीरें भी नहीं खिंचा करती हैं।
जफर हाशमी की बात छोड़ भी दें तो भी नफरती व्हॉट्सएप ग्रुप बनाने वाला निजाम कुरैशी तो पक्का समाजवादी था। कानपुर हिंसा का सच सामने आने के बाद उसे समाजवादी पार्टी ने पार्टी से बेदखल कर दिया है। कानपुर की हिंसा में जफर हयात हाशमी और निजाम कुरैशी समेत 50 से अधिक लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। हिंसा के सिलसिले में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के तीन कार्यकर्ताओं की भी गिरफ्तारी हुई है। इनके नाम हैं मोहम्मद उमर, सैफुल्लाह और मोहम्मद नसीम।
ये तीनों कानपुर हिंसा के वक्त वहां मौजूद थे। ये वो लोग हैं जिनका नाम 2019 के CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में भी सामने आया था। कानपुर की हिंसा के बाद भी समाज को बांटने की कोशिश चल रही हैं। हिंसा के आरोपियों को पकड़ने और उनके खिलाफ सख्ती के संकेतों के बाद खुद को मुस्लिमों का प्रतिनिधि कहने वालों कुछ लोगों की जुबान बेकाबू हो गई।
माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वाले कोई एक गुट या समुदाय के नहीं। खुद को एक हिंदूवादी गुट का नेता बताने वाले तुषार शुक्ला नाम के व्यक्ति का एक वीडियो वायरल है। इस वीडियो में वो एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ बदसलूकी करता देखा जा सकता है। तुषार शुक्ला अब अपनी सफाई में कह रहा है कि कल्लू नाम का मुस्लिम व्यक्ति धर्म परिवर्तन कराने में शामिल था। अगर कुछ ऐसा है भी तो थाना है, पुलिस है, कोर्ट है। कोई तुषार शुक्ला फैसला कैसे कर सकता है? इस तुषार शुक्ला की तस्वीरें यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या और यूपी सरकार के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के साथ मौजूद हैं।
सवाल पब्लिक का
1. कानपुर हिंसा में नफरत के WhatsApp से समाजवादी पार्टी का क्या कनेक्शन है?
2. क्या योगी सरकार के खिलाफ साजिश के तहत कानपुर में हिंसा हुई?
3. क्या कानपुर हिंसा की आड़ में समाज को बांटने की कोशिश हो रही है?