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'मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं, फांसी से माफी दे दें' शबनम के बेटे की राष्ट्रपति से भावुक अपील

Updated Feb 19, 2021 | 10:02 IST

Amroha murder case: साल 2008 में अपने परिवार के सात सदस्यों को कुल्हाड़ी से हत्या करने की दोषी शबनम अभी अमरोहा की जेल में बंद है। उसे फांसी देने के लिए मथुरा जेल प्रशासन तैयारी कर रहा है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
शबनम के बेटे की राष्ट्रपति से भावुक अपील।
मुख्य बातें
  • शबनम अली ने साल 2008 में अपने परिवार के सात लोगों को मार डाला था
  • अपने प्रेमी सलीम से शादी करना चाहती थी शबनम, परिवारवाले इसके खिलाफ थे
  • अमरोह की जेल में बंद है शबनम, राष्ट्रपति भी दया याचिका खारिज कर चुके हैं

नई दिल्ली : शबनम अली फांसी केस में नया मोड़ आ गया है। अमरोहा जेल में बंद शबनम ने अपनी फांसी की सजा माफ करने के लिए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को अपनी दया याचिका भेजी है। साल 2008 में अपने परिवार के सात सदस्यों को कुल्हाड़ी से हत्या करने की दोषी शबनम अभी अमरोहा की जेल में बंद है। उसे फांसी देने के लिए मथुरा जेल प्रशासन तैयारी कर रहा है। शबनम की समीक्षा याचिका सुप्रीकोर्ट से खारिज हो चुकी है। राष्ट्रपति की ओर से भी उसे राहत नहीं मिली। यह सजा यदि अमल में ला दी जाती है तो आजाद भारत में फांसी की सजा पाने वाली शबनम देश की पहली महिला होगी।   

बेटे ने की राष्ट्रपति से भावुक अपील
वहीं, शबनम के बेटे मोहम्मद ताज ने अपनी मां की सजा माफ करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपील की है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक ताज ने कहा, 'मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं। मैं राष्ट्रपति से अपील करता हूं कि वह मेरी मां की फांसी की सजा माफ कर दें। अब राष्ट्रपति पर निर्भर करता है लेकिन मुझे विश्वास है।' बता दें कि ताज बुलंदशहर के सुशीला विहार कॉलोनी में अपने संरक्षक अभिभावक उस्मान सैफी के साथ रहता है। 

2008 में परिवार के 7 सदस्यों को कुल्हाड़ी से काट डाला 
साल 2008 में शबनम ने अपने सात परिजनों को निर्ममता से हत्या कर दी। कुल्हाड़ी से काटे जाने से पहले उसने दूध में नशीला पदार्थ खिलाकर उन्हें बेहोश कर दिया। दरअसल, शबनम अपनी बिरादरी के सलीम नाम के युवक से शादी करना चाहती थी। उसके परिवार वाले इस शादी के खिलाफ थे। परिवार वालों से छुटकारा पाने के लिए उसने इस जघन्य हत्याकांड की साजिश रची। 

2010 में हुई फांसी की सजा
इस हत्याकांड में अमरोहा की सत्र अदालत ने साल 2010 में दोनों को फांसी की सजा सुनाई। पिछले 11 सालों में शबनम ने इहालाबाद हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन उसकी फांसी की सजा कायम रही। राष्ट्रपति के समक्ष उसकी दया याचिका खारिज हो चुकी है। पिछले साल जनवरी में शीर्ष अदालत ने उसकी समीक्षा याचिका भी खारिज कर दी। अब उसके पास राहत पाने का कोई रास्ता नहीं बचा है।

फांसी के तख्ते का जायजा ले चुका है पवन जल्लाद
शबनम के वकील का कहना है कि दोषी के खिलाफ डेथ वारंट जारी हो रहा है, इस बारे में उन्हें सूचित नहीं किया गया है, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी है कि मथुरा जेल देश का ऐसा इकलौता कारागृह है जहां पर महिला कैदी को फांसी देने की व्यवस्था और यहां पर तैयारी जोरों पर चल रही है। मथुरा के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र मैत्रे ने बुधवार को टीओआई से कहा, 'हमें कोई डेथ वारंट नहीं मिला है लेकिन हमने तैयारी शुरू कर दी है...पिछले साल फरवरी में पवन जल्लाद ने फांसी वाली जगह का जायजा लिया था। इस दौरान उसने बताया था कि फांसी के तख्ते में दिक्कत है। अब हम उसे ठीक कर रहे हैं।' 

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