नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और NRC के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में धरने पर बैठीं महिलाओं को 90 से ज्यादा दिन हो गए हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद सवाल उठने लगा कि क्या अब इस पर रोक लग जाएगी? क्या ये धरना बंद हो जाएगा? एक तरफ जब मॉल, स्कूल, सिनेमाघर आदि को बंद किया जा रहा है तो क्या यहां प्रदर्शनकारियों का बैठना ठीक है? दिल्ली सरकार ने मार्च के अंत तक 50 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इस सबके बावजूद शाहीन बाग में महिलाओं का धरना जारी है।
महिलाओं ने प्रदर्शन जारी रखते हुए कोरोना वायरस से भी लड़ने का तोड़ निकाल लिया है। यहां बैठने की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। अब जमीन पर एक साथ बैठने की बजाय महिलाएं तख्तों पर बैठ रही हैं। वहां कई तख्त लगा दिए गए हैं, जिस पर महिलाएं छोटे-छोटे ग्रुप में बैठ रही हैं।
सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में 31 मार्च तक 50 से अधिक लोगों की मौजूदगी वाले धार्मिक, सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम और राजनीतिक बैठकें करने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह प्रतिबंध दिल्ली के शाहीन बाग और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर विरोध प्रदर्शन करने वाली भीड़ पर लागू होगा।
शाहीन बाग प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया, 'पहले उन्होंने हमारे यातायात को अवरुद्ध कर दिया, हमें स्कूलों, अस्पतालों और नौकरियों में जाने से रोक दिया। अब शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी आत्मघाती आतंकवादी जैसा व्यवहार कर रहे हैं। शाहीन बाग अब दिल्ली के लाखों नागरिकों के जीवन के लिए सीधा खतरा है। यह एक आपराधिक कृत्य है।'
वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने शाहीन बाग प्रदर्शन खत्म करने की अपील की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका को देखते हुए और चूंकि भीड़ में संभावनाएं तेजी से बढ़ती हैं, मुझे लगता है कि बहादुर और देशभक्त शाहीन बाग जैसे सीएए/एनआरसी विरोध-प्रदर्शनों को फिलहाल निलंबित कर दिया जाना चाहिए। हालांकि उन्हें वर्चुअल स्पेस में जारी रखा जाना चाहिए।'
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अपने स्वास्थ्य को लेकर जरूरी एहतियात बरतते हुए सीएए के खिलाफ अपना धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे। शाहीन बाग प्रदर्शन के मीडिया कोऑर्डिनेटर काजी इमाद ने कहा, 'हम सिनेमाघरों, आईपीएल जैसे आयोजन पर बैन का सम्मान करते हैं। लेकिन ये सभी मनोरंजन के माध्यम हैं, जबकि हमारा प्रदर्शन हमारे वजूद को बनाए रखने की लड़ाई है। दोनों की एक-दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती।' शाहीन बाग प्रदर्शन की लीगल टीम के सदस्य एडवोकेट अनवर सिद्दीकी ने भी कहा, 'हम प्रदर्शन के बारे में तब तक कोई फैसला नहीं लेंगे, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ऐसा नहीं कहता।'