नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति के 'चाणक्य' बनकर उभरे शरद पवार राज्य में सरकार बनने के बाद एक के बाद एक बड़ा खुलासा कर रहे हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि वह जानते थे कि अजित पवार देवेंद्र फडणवीस के संपर्क में हैं। हालांकि भाजपा के साथ सरकार बनाने पर उस समय पवार ने अजित के फैसले से खुद को दूर कर लिया था। इससे पहले पवार ने सोमवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक साथ काम करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
फडणवीस और अजित पवार ने 23 नवंबर की सुबह मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पद की शपथ ली थी। ये तब हुआ था जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच बातचीत लगभग फाइनल हो गई थी। इसके बाद पवार ने कहा था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, ये अजित का व्यक्तिगत फैसला है।
अब NDTV को दिए इंटरव्यू में पवार ने कहा, 'मुझे पता था कि देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार बातचीत कर रहे थे, लेकिन यह अटकलें गलत हैं कि मुझे अजित के राजनीतिक कदम के बारे में पता था।'
पवार ने कहा कि अजित कांग्रेस नेताओं के साथ सरकार गठन को लेकर हो रही बातचीत की गति से नाखुश थे और सत्ता की साझेदारी को लेकर खींचतान से खुश नहीं थे। अजित पवार के सरकार में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि विधानसभा के शीत सत्र के खत्म होने के बाद इस पर पार्टी कोई फैसला लेगी।
सोमवार को एक अन्य इंटरव्यू में पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया। उन्हें मोदी कैबिनेट में सुप्रिया सुले को मंत्री बनाने का भी प्रस्ताव मिला था। पवार ने कहा कि उन्होंने मोदी को साफ कर दिया कि उनके लिए प्रधानमंत्री के साथ मिलकर काम करना संभव नहीं है। मैंने उनसे कहा कि हमारे निजी संबंध बहुत अच्छे हैं और वे हमेशा रहेंगे लेकिन मेरे लिए साथ मिलकर काम करना संभव नहीं है।
इस पर सुप्रिया सुले ने कहा, 'ये प्रधानमंत्री जी का बड़प्पन है कि उन्होंने ऐसा सुझाव दिया। मैं उनकी आभारी हूं कि उन्होंने कहा, लेकिन वो हो नहीं पाया।' वहीं अजित पवार पर उन्होंने कहा कि वह बीजेपी में शामिल नहीं हुए थे। यह हमारी पार्टी और परिवार का आंतरिक मामला है। वह हमेशा मेरे बड़े भाई और पार्टी के वरिष्ठ नेता बने रहेंगे।