- संजय राउत की न केवल शरद पवार से अच्छे संबंध हैं, बल्कि वह उद्धव ठाकरे के भी काफी भरोसेमंद है।
- इस समय महाराष्ट्र सरकार के दो प्रमुख नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख जेल में हैं।
- संजय राउत शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की भी करीबी रहे हैं।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद जब कल शरद पवार प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे तो उन्होंने सारे कयासों को दरकिनार करते हुए संजय राउत के लिए अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि संजय राउत की प्रॉपर्टी अटैच करना घोर अन्याय है। उन्होंने कहा कि मैंने पीएम मोदी से कहा कि संजय राउत के खिलाफ कार्रवाई की क्या जरूरत थी? सिर्फ इसलिए कि कभी-कभी वह लिखता और आलोचना करता है?
अब सवाल उठता है कि एनसीपी नेता शरद पवार यह सब बातें अपनी पार्टी के नेता के लिए नहीं कह रहे थे। उन्होंने यह बातें शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत के लिए कहीं है। पवार के इस कदम से महाराष्ट्र की राजनीति में संजय राउत की अहमियत साफ हो जाती है। खास तौर से तब, जब गठबंधन के दो वरिष्ठ नेता और मंत्री नवाब मलिक और पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख जेल में हैं।
कार्रवाई पर क्या बोले संजय राउत
प्रॉपर्टी अटैच करने की कार्रवाई पर बृहस्पतिवार को संजय राउत ने कहा कि क्या मैं विजय माल्या हूं? क्या मैं मेहुल चोकसी हूं? मैं नीरव मोदी हूं या अंबानी अडानी? मैं एक छोटे से घर में रहता हूं। मेरे पैतृक स्थान में मेरे पास एक एकड़ जमीन नहीं है। मेरे पास जो कुछ भी है वह मेरी मेहनत की कमाई है। क्या जांच एजेंसी को लगता है कि कोई मनी लॉन्ड्रिंग है? आप मुझे डरा नहीं सकते। चाहे वे मेरी संपत्ति को जब्त कर लें या मुझे गोली मार दें या मुझे जेल भेज दें। संजय राउत बालासाहेब ठाकरे का अनुयायी और एक शिव सैनिक है।
आखिर क्यों AIMIM नेता ने शरद पवार से पूछा- क्या संजय राउत नवाब मलिक से ज्यादा कीमती हैं?
शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में अहम भूमिका
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद यह किसी ने कयास नहीं लगाया था कि दोनों दलों की 35 साल पुरानी दोस्ती टूट जाएगी। और कट्टर हिंदूत्व छवि वाली शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लेगी। लेकिन इस दोस्ती के टूटने और पहली बार ठाकरे परिवार से किसी को सीएम की कुर्सी संभालने की भूमिका में लाने में संजय राउत की अहम भूमिका रही है।
संजय राउत की न केवल शरद पवार से अच्छे संबंध रहे हैं, बल्कि वह उद्धव ठाकरे के भी काफी भरोसेमंद है। इसी वजह से 56 सीटों के साथ शिवसेना का 54 सीटों वाली एनसीपी और 44 सीटों वाली कांग्रेस के साथ न केवल गठबंधन हो सका, बल्कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद भी आसानी से मिल सका।
बाल ठाकरे से खास नाता
संजय राउत शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की भी करीबी रहे हैं। पेशे से पत्रकार संजय राउत शिवसेना के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक भी है। और बाल ठाकरे के समय से सामना का कार्यभार संभाल रहे हैं। इसके साथ ही जब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच दूरियां हुई तो संजय राउत ने उद्धव ठाकरे का साथ दिया। इस कारण भी वह उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के भी करीबी है।
महाराष्ट्र में भाजपा के खिलाफ मुख्य आवाज
जब से भाजपा और शिवसेना गठबंधन टूटा है, उस वक्त से संजय राउत भाजपा विरोध का चेहरा रहे है। चाहे भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को घेरना हो या फिर किरीट सौमेया, सभी मामले में महाविकास अघाड़ी सरकार के चेहरा वहीं रहते हैं। लेकिन बीते मंगलवार को ईडी की कार्रवाई ने उनके लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। क्योंकि पहले से से एनसीपी नेता नवाब मलिक और पूर्व गृह मंत्र अनिल देशमुख जेल में है। संजय राउत पर ईडी ने 1,034 करोड़ रुपये के पात्रा चॉल भूमि घोटाला मामले की कार्रवाई करते हुए राउत के अलीबाग स्थित 8 प्लॉट और मुंबई के दादर स्थित एक फ्लैट को अटैच है।
इसके पहले फरवरी में ईडी ने इस मामले में महाराष्ट्र के बिजनेसमैन प्रवीण राउत को फरवरी में गिरफ्तार किया था । और बाद में उसके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की थी। प्रवीण, संजय राउत के मित्र हैं। और पीएमसी बैंक घोटाला मामले में जांच के दौरान उनका नाम सामने आया था। जिसमें यह आरोप है कि प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी ने संजय राउत की पत्नी वर्षा को 55 लाख रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज दिया था, जिसका उपयोग राउत परिवार द्वारा दादर में एक फ्लैट खरीदने के लिए किया गया था।