- हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सीजन की पहली बर्फबारी हुई है
- कश्मीर के कई इलाकों में भी बर्फ की सफेद मोटी परत बिछ गई है
- उत्तराखंड के चमोली स्थित बद्रीनाथ धाम में भी खूब बर्फबारी हुई है
Snowfall in Shimla, Badrinath, Kashmir pictures and videos: कश्मीर से लेकर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बीते कुछ दिनों से लगातार बर्फबारी हो रही है, जो पर्यटकों को खूब आकर्षित कर रहा है। हर तरफ बर्फ की सफेद मोटी चादर बिछी नजर आ रही है, जिसका सैलानी खूब लुत्फ उठा रहे हैं। बर्फबारी से हालांकि दृश्ता भी प्रभावित हुई है और कई जगह उड़ानों के संचालन पर भी असर पड़ा है, लेकिन पर्यटकों के लिए यह कभी न भूलने वाला नजारा हो गया है।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में साल 2022 की पहली बर्फबारी शनिवार को हुई, जिसके बाद बाद से यहां बर्फ का गिरना जारी है। शिमला के साथ-साथ जाखू, द रिज, बेनमोर और संजौली सहित राज्य के कई ऊपरी इलाकों में बर्फबारी हुई है। लाहौल-स्पीति, किन्नौर और पांगी और चंबा जिले के भरमौर में भी बर्फबारी दर्ज की गई है।
शिमला और हिमाचल प्रदेश के अन्य इलाकों में बर्फबारी की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी छाया है।
वहीं, उत्तराखंड के चमोली जिले में भी खूब बर्फ पड़ी है, जहां बद्रीनाथ धाम बर्फ की सफेद चादर से ढक गया है।
कश्मीर में शोपियां, श्रीनगर के साथ-साथ जम्मू क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कटरा स्थित माता वैष्णोदेवी धाम में भी सीजन की पहली बर्फबारी दर्ज की गई, जिसके बाद यहां बैटरी कार सेवा और हेलीकॉप्टर सेवा बाधित हो गई है। बर्फबारी से श्रीनगर में उड़ानों का परिचालन भी प्रभावित हुआ है। हालांकि एयरपोर्ट से बर्फ हटाने का काम जारी है। श्रीनगर एयरपोर्ट की ओर से रविवार को बताया गया है कि फ्लाइट ऑपरेशंस के लिए वेदर ठीक है। हालांकि एयरपोर्ट पर बर्फ की पतली सी लेयर है, जिससे फिसलन हो सकती है और इसे साफ किया जा रहा है।
खराब मौसम के कारण शनिवार को श्रीनगर में कम से कम 10 उड़ानों को रद्द करना पड़ा था, जबकि कई के परिचालन में देरी हुई। बर्फबारी और भूस्खलन के कारण कई स्थानों पर जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग भी बंद हुआ। वहीं खराब मौसम की वजह से 136 किलोमीटर लंबे बनिहाल-बारामूला रेलखंड पर भी रेल सेवा प्रभावित हुई है।
यहां गौर हो कि कश्मीर में 40 दिन का 'चिल्लई कलां' का दौर 21 दिसंबर से शुरू हो गया, जब क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ती है और तापमान शून्य से कई डिग्री सेल्यिस नीचे पहुंच जाता है। ऐसे वक्त में यहां प्रसिद्ध डल झील के साथ-साथ घाटी के कई हिस्सों में पानी की आपूर्ति लाइनों सहित जलाशय भी जम जाते हैं। यह दौर 31 जनवरी को खत्म होता है, जिसके बाद 20 दिन का 'चिल्लई-खुर्द' और फिर 10 दिन का 'चिल्लई बच्चा' का दौर शुरू होता है।