- बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने लिया वीआरएस, चुनाव लड़ने की अटकलें तेज
- गुप्तेशवर पांडेय के वीआरएस पर शिवसेना का तंज, यह तो राजनीतिकरण है
- गुप्तेश्वर पांडेय बुधवार शाम लोगों से सोशल मीडिया के जरिए होंगे रूबरू
नई दिल्ली। गुप्तेश्वर पांडेय के बारे में खास परिचय देने की जरूरत नहीं है, यह बात अलग है कि उनके परिचय में थोड़ा सा बदलाव आया है। वो अब डीजीपी की जगह एक्स डीजीपी हो चुके हैं। सुशांत सिंह राजपूत केस में वो मुखर होकर अपनी बात रखते रहे हैं। लेकिन अब पद की बंदिश नहीं ऐसे में देखना होगा कि वो अपने विचार स्वतंत्र तौर पर रखेंगे या किसी दल की विचारधारा वाली नाव पर सवार हो जाएंगे। वैसे गुप्तेश्वर पांडे बुधवार शाम 6 बजे अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए लोगों से रूबरू होंगे। लेकिन शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने निशाना साधा है।
शिवसेना ने कसा तंज
संजय राउत कहते हैं कि 24 घंटे के अंदर वीआरएस का स्वीकार किया जाना बताता है कि सिविल सर्विसेज का किस तरह से राजनीतिकरण हो गया है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर बड़े प्रशासकीय पदों पर जो लोग होते हैं वो संबंधित सरकारों की विचारों से जुड़े होते हैं। लेकिन जिस तरह से गुप्तेश्वर पांडे के विचार सामने आते रहे हैं उससे साफ है कि उनकी मंशा क्या थी। वो जिस किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े उस मुद्दे पर किसी तरह की टीका टिप्पणी नहीं करेंगे। लेकिन लोगों के मन में तमाम तरह से सवाल तो उठेंगे कि आखिर वो किस मकसद से बयानबाजी कर रहे थे।
सुशांत केस में सीबीआई जांच की उठाई थी मांग
सुशांत सिंह राजपूत केस का जांच जब सीबीआई को हैंडओवर करने की मांग उठ रही थी उस वक्त बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडे टेलाविजन पर आकर पुरजोर तरीके से अपनी बात रखते थे। वो बार बार शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहते थे कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है जिसकी वजह से महाराष्ट्र सरकार जांच सीबीआई के हवाले नहीं कर रही है। इसके साथ ही जब जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई उसके बाद जब रिया चक्रवर्ती की तरफ से कुछ टिप्पणी की गई तो उन्होंने कहा था कि रिया की औकात नहीं है कि वो सीएम नीतीश कुमार पर टिप्पणी कर सके हालांकि बाद में उन्होंने बयान पर माफी मांग ली थी।
वीआएस पर वार और पलटवार
बिहार के एक्स डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि वो किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हुए हैं और ना ही कोई फैसला किया है। जहां तर सामाजिक कार्यों की बात है तो उसे वो बिना राजनीति में दाखिल हुए भी कर सकते हैं। इस विषय पर संजय राउत कहते हैं कि जो पार्टी उन्हें उम्मीदवार बनाएगी उस पर लोग भरोसा नहीं करेंगे। अब यह साफ हो चुका है कि महाराष्ट्र के खिलाफ उन्होंने राजकीय तांडव किया था। वो मुंबई से जुड़े मामलों में स्पष्ट तौर पर राजनीति कर रहे थे और जिसका पुरस्कार उन्हें मिलने जा रहा है।