- किसान आंदोलन की फिर होगी शुरूआत? किसानों का सरकार को मिला अल्टीमेटम
- संयुक्त किसान मोर्चा की हुई समीक्षा बैठक, किसानों ने आगे की रणनीति बताते हुए लिए कुछ बड़े फैसले
- 21 जनवरी को राकेश टिकैत के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल लखीमपुर खीरी रवाना होगा
दिल्ली के बॉर्डर से किसानों की वापसी के बाद आज पहली बार संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग सिंघु बॉर्डर पर हुई। आंदोलन स्थगन के बाद कई किसान संगठनों द्वारा चुनाव में शामिल होने की घोषणा के बाद उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा से बेदखल करने का फैसला लिया गया है। आज प्रेस कांफ्रेंस करके संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हम एक अराजनीतिक संगठन है और हमारा राजनीति से कोई लेना देना नहीं है।
सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक
इस साल की पहली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक आज सिंघु बॉर्डर पर हुई। बैठक में केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादों की समीक्षा की गई। संयुक्त किसान मोर्चा में यह तय हुआ की सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की मांग ना मानकर, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस ना लेकर वादाखिलाफी की है. इसके विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा 31 जनवरी को देश भर के जिले और तहसीलों के केंद्र पर वादाखिलाफी दिवस मनाएगी।
इन विषयों पर हुई चर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा की सरकार के लिखित आश्वासन के बावजूद एमएसपी पर कमेटी, किसानों पर हुए मुकदमे की वापसी, बिजली संशोधन कानून पर चर्चा और मृत किसानों को मुआवजा जैसी मांगों पर सरकार ने कोई काम नहीं किया. बैठक में कहा गया कि सरकार द्वारा लंबित मांगों पर कोई काम ना करने से किसानों के अंदर नाराजगी है।
आज की बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा ने यह बड़े फैसले लिए हैं:
- संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी बैठक में आज यह फैसला लिया है कि 31 जनवरी तक अगर उनकी लंबित मांगों को लेकर सरकार कोई कदम नहीं उठाती है। उसके बाद 1 फरवरी से मिशन यूपी की शुरुआत होगी।
- इसके अलावा आज भी बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को किसानों की हत्या के षड्यंत्र में जिम्मेदार बताते हुए कार्रवाई करने की मांग दोहराई गई. इस मामले में आंदोलनकारी किसानों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने का भी संयुक्त किसान मोर्चा ने विरोध किया है।
- 21 जनवरी को राकेश टिकैत के नेतृत्व में मोर्चे का एक दल लखीमपुर खीरी भी जाएगा। 3 दिन तक राकेश टिकैत वहां दुर्घटना में मारे गए किसानों के परिवारों से और अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। अगर वहां पीड़ितों के लिए कोई सुनवाई नहीं होती है तो लखीमपुर खीरी में एक बड़ा मोर्चा शुरू होगा।
- वही चुनाव लड़ने जा रहे किसान संगठन जिन्हें संयुक्त किसान मोर्चा से बेदखल कर दिया गया, उनको वापस लेने के सवाल पर यह बताया गया कि 3 महीने से पहले इस पर कोई चर्चा संभव नहीं है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने 11 दिसंबर को अपना आंदोलन स्थगित किया था और उसके बाद से दिल्ली के तमाम सीमाओं पर बैठे किसानों ने घर वापस जाना शुरू कर दिया था।
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