- लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए सोनू सूद ने किया है बसों का इंतजाम
- हजारों प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य भिजवा चुका है बॉलीवुड का यह अभिनेता
- मदद की बात पर सूद ने कहा कि मजदूरों के चेहरे पर मुस्कान ही उनका पुरस्कार है
नई दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद की आज एक अलग पहचान बन गई है। रुपहले पर्दे पर खलनायक की भूमिका निभाने वाले सोनू सूद आज रीयल लाइफ के हीरो बन गए हैं। लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों की मदद करने के लिए उनकी हर जगह तारीफ हो रही है। प्रवासी मजदूरों के लिए बसों का इंतजाम कर सूद ने उन्हें बड़ी राहत पहुंचाई है। समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में इस अभिनेता ने अपनी इस मुहिम के बारे में बातचीत की है।
'मजदूरों को पैदल जाता देख बहुत दुखी था'
सोनू सूद का कहना है, 'मैं प्रवासी मजदूरों को अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ पैदल जाते देखकर बहुत दुखी था। ये वही लोग हैं जो हमारे घर, ऑफिस और सड़कें बनाते हैं। मेरा मानना है कि हमें इस हालत में इन्हें छोड़ना नहीं चाहिए।' उन्होंने आगे कहा, 'मुझे लगा कि इनकी मदद करनी चाहिए। यही वजह है कि मैंने निजी स्तर पर स्थानीय एवं राज्य सरकार से बात करके उनके जाने के लिए व्यवस्था करनी शुरू की।' अभिनेता का कहना है कि जब तक कि आखिरी प्रवासी अपने घर नहीं पहुंच जाता तब तक वह अपने इस काम को करते रहेंगे।
सूद मानते हैं कि मजदूरों की खुशी है उनका पुरस्कार है
सूद ने कहा, 'लोगों की सराहना से मैं काफी खुश हैं और अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मैं बस इतना कह सकता हूं कि मैं लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए हमेशा कोशिश करूंगा।' सूद मानते हैं कि प्रवासियों के आंसू भरे चेहरे की मुस्कुराहट ही उनका सबसे बड़ा पुरस्कार है।
'इस काम के लिए भगवान ने मुझे चुना'
उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि सोशल मीडिया पर अपने दुख को बयां करना केवल काफी नहीं है। जरूरी यह है कि कुछ किया जाए। मैं यह नहीं कहता है कि सबको सामने आना चाहिए पर मैं यह मानता हूं कि इस काम के लिए भगवान ने मुझे चुना है। मेरा हमेशा से यह विश्वास रहा है कि लोगों को इस समय भरोसे की जरूरत है कि कोई है जो उनके लिए कुछ कर रहा है।'
'मदद करने का मेरा तरीका थोड़ा दूसरा है'
अभिनेता के मुताबिक, 'बहुत लोग अपने घर पर रहते हुए पैसे से लोगों की मदद कर रहे हैं लेकिन मैंने किसी दूसरे तरीके से मदद करनी चाही। मेरा तरीका थोड़ा दूसरा है। इसके लिए मुझे सड़कों पर जाना और लोगों से मिलना पड़ता है। इसलिए सावधानी बरतते हुए मैं सुरक्षा किट हमेशा अपने साथ रखता हूं। मैं प्रवासी मजदूरों को भी मास्क पहनने और सुरक्षित रहने की सलाह देता हूं।'
इसका श्रेय सोनू अपने माता-पिता को देते हैं
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि इस तरह के सुझाव देने से लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और जल्द ही जीवन सामान्य हो जाएगा। मेरी मां हमेशा कहती हैं कि तुम तभी सफल हो जब तुम किसी की मदद कर पा रहे हो। इसलिए मुझे लगता है कि मैं जो कुछ भी कर पा रहा हूं वह अपने माता-पिता के आशीर्वाद से ही संभव है। मैं लोगों से यह कहना चाहता हूं कि जिस भी तरह से हो सके वे भी जरूरतमंदों की मदद करें।'