- दुनिया के सबसे तेज लड़ाकू विमानों में से एक था मिग 25
- उस दौर में इसे पकड़ना लगभग था नामुमकिन
- सोवियत संघ ने मिग 25 का किया था निर्माण
MIG-25: दुनिया का सबसे तेज लड़ाकू विमानों में से एक...80 हजार फीट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता, आवाज से तीन गुना अधिक की स्पीड और शीत युद्ध का सबसे शक्तिशाली टोही विमान...यही पहचान रही है मिग 25 की। इसकी क्षमता का आकलन इसी बात से किया जा सकता है कि जबतक इस विमान का पायलट नहीं चाहता था कि दुश्मन को इसका पता चले, इसका पकड़ाना लगभग नामुमकिन था।
भारत में मिग 25
भारत ने 1981 में मिग 25 को रूस से खरीदा था। तब पाकिस्तान के साथ दो युद्ध हो चुका था। सीमा पर तनातनी की स्थिति बनी रहती थी। यही कारण रहा कि भारत ने उस दौर के सबसे बेहतरीन जासूसी विमान को रूस से खरीदा था। तब भारत के पास 25 मिग-25 थे, जिन्हें गरूड़ नाम दिया गया था।
जब पाकिस्तान को डराया
बात 1997 की है। मिग 25 भारत से उड़ान भरा और सीधे पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंच गया। किसी को भनक तक नहीं लगी और पूरे इस्लामाबाद में घूम-घूमकर यह तस्वीरें खीचता रहा। न कोई रडार इसे पकड़ पाया और न ही कोई विमान। इसके बाद इस विमान ने खुद ही अपनी उपस्थिति का अहसास पाकिस्तानी वायुसेना को दिलाया। मानो कह रहा हो- हम आ गए हैं, पकड़ सको तो पकड़ लो।
क्या हुआ था उस दिन
मई 1997 में, एक भारतीय वायु सेना का मिग-25आरबी टोही विमान ने उस समय हंगामा खड़ा कर दिया जब पायलट ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में एक टोही मिशन के बाद मैक-3 से भी तेज गति से उड़ान भरी। लगभग 66,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते समय मिग-25 ने ध्वनि अवरोध को तोड़ दिया, जिसके बाद एक तेज आवाज होने लगी। पाकिस्तान सहम गया। जबतक पाकिस्तान की वायुसेना को पता चलता और वो अपना विमान इसके पीछे भेजती मिग 25 गायब हो चुका था। कहा जाता है कि भारतीय पायलट द्वारा ध्वनि अवरोध को तोड़ना यह बताने का एक जानबूझकर प्रयास था कि पाकिस्तान वायु सेना के पास उसके टक्कर का कोई विमान नहीं है। जो मिग 25 का पीछा कर सके। बात भी सही थी। पाकिस्तान क्या, एक समय में अमेरिका के पास भी इस विमान का कोई तोड़ नहीं था। भारत ने इस घटना से इनकार किया लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्री, गोहर अयूब खान का मानना था कि फॉक्सबैट (नाटो नेम) ने राजधानी इस्लामाबाद के पास रणनीतिक प्रतिष्ठानों की तस्वीरें खींची थीं।
बिना हथियार सफल अभियान
ऐसे तो इस लड़ाकू विमान में रक्षा के लिए हवा से हवा में मार करने वाली चार मिसाइलें लगी होती थीं, लेकिन शायद ही इसका कभी प्रयोग किया गया है। इसके हथियार थे वो शक्तिशाली कैमरे जो हजारों फीट की ऊंचाई से भी साफ तस्वीरें ले सकते थे। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ ने इसका इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ खूब किया था। भारत ने इसका इस्तेमाल चीन और पाकिस्तान के खिलाफ किया था। हालांकि भारतीय वायुसेना ने आजतक इसके मिशनों और रहस्यों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है। सन् 2006 में इस विमान को भारतीय वायुसेना से रिटायर कर दिया गया।