- विष्णु तिवारी के साथ SC/ST एक्ट और रेप का लगा था झूठा केस
- बिना किसी गुनाह के 20 साल रहे जेल की सलाखों के पीछे
- विष्णु तिवारी 18 साल के थे तब लगा था आरोप, 38 साल की उम्र में हुए रिहा
नई दिल्ली: यूपी के ललितपुर के रहने वाले विष्णु तिवारी की कहानी जितनी दर्दनाक है उतना ही वह हमारे सिस्टम पर सवालिया निशान भी खड़े करती है। विष्णु तिवारी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 20 साल बिना किसी जुर्म के जेल की सलाखों के पीछे बिताए हैं। विष्णु तिवारी ने ऐसे जुर्म की सजा काटी है जो उन्होंने कभी किया ही नहीं। विष्णु तिवारी ने 20 साल केवल जेल में नहीं काटे बल्कि इस दौरान उनकी मां, पिता को खोने के अलावा दो भाईयों को भी खो दिया। विष्णु तिवारी की बदनसीबी ये रही कि वो किसी के अंतिम संस्कार तक में शामिल नेहीं हो सके।
आत्महत्या तक का बना लिया था मन
विष्णु तिवारी को जेल से बाहर निकलवाने के लिए उनके घरवालों ने जमीन तक बेच डाली लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। विष्णु को बेल तक नहीं मिली। जेल से छूटने के बाद विष्णु बताते हैं कि जमीना का पूरा पैसा वकील खा गया और कोर्ट में तारीख तक नहीं मिली। इसी टेंशन में विष्णु का परिवार धीरे-धीरे खत्म सा हो गया। विष्णु बताते हैं कि वो जेल में इस कदर रोए कि धीरे-धीरे रोने में ही समय कट गया और निराशा का दौर चलते रहा।
गुरुवार को जब विष्णु अपने गांव पहुंचे तो उनका गांव वालों ने जमकर स्वागत किया और गले लगा लिया। विष्णु बताते हैं उन्हें उस जुर्म की सजा मिली जो उन्होंने कभी किया ही नहीं। जेल में रहने के दौरान विष्णु सिस्टम से इस कदर हताश हो चुके थे कि उन्होंने एक बार तो आत्महत्या करने का तक मन बना लिया था।
ये थी विष्णु की गलती
विष्णु पर आरोप था कि उन्होंने 16 सितंबर सन 2000 को खेत जा रही अनुसूचित जाति की महिला को झाड़ी में खींचकर उसका रेप किया था। इसके बाद तत्कालीन सीओ ने जांच कर चार्जशीट दायर की। सत्र न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोप में 10 साल व एससी-एसटी एक्ट के अपराध में 10 साल की सजा सुनाई। विष्णु के मुताबिक पूरा मुकदमा की झूठा था। विष्णु बतातते हैं कि पशुओं को लेकर पीड़ित पक्ष के साथ बहस हुई थी और इसे लेकर पीड़ित ने शिकायत दर्ज करा दी। आरोप झूठा होने पर पुलिस ने तीन दिन तक मामला नहीं लिखा लेकिन बाद में ऊपर से दवाब आया तो पुलिस ने रेप तथा एससी, एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कर विष्णु को जेल भेज दिया।
मदद की दरकार
2005 के बाद 12 साल तक विष्णु से जेल में कोई मिल भी नहीं पाया। 2017 में जब छोटा भाई महादेव मिलने पहुंचा तो उसने बताया कि मां- बाप और भाईयों की मौत हो गई। बाद में सरकारी वकील ने उसकी सुनवाई की और अंतत: हाईकोर्ट ने विष्णु को निर्दोष साबित किया। अब विष्णु के पास जो घर था वो खहंडर बन चुका है वो सरकार से आर्थिक मदद या रोजगार की मांग कर रहे हैं।