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पार्टी से गद्दारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, शिवसेना नेता संजय राउत ने बागियों को दी चेतावनी

Updated Jun 25, 2022 | 17:22 IST

महाराष्ट्र में लगातार राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। शिवसेना के दोनों गुट अपने-अपने दावे कर रहे हैं।  शिवसेना सांसद और सीनियर नेता संजय राउत ने जिसने शिवसेना छोड़ दी है वे राजनीति के लिए बालासाहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। महाविकास अघाड़ी एकजुट हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
शिवसेना नेता संजय राउत ने बागियों की दी चेतावनी

मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत हर पल नया मोड़ ले रही है। शिवसेना सांसद और सीनियर नेता संजय राउत ने शनिवार को कहा कि  हम उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे जिन्होंने अपने स्वार्थ की राजनीति के लिए बालासाहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल किया है। जो पार्टी छोड़कर चले गए हैं वे हमारे पितामह के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि पार्टी से गद्दारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सीएम ठाकरे के पास छोड़कर गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है।

संजय राउत ने कहा कि हमने 6 प्रस्ताव पारित किए हैं और तय किया है कि शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की हिंदुत्व विचारधारा का पालन करेगी और संयुक्त महाराष्ट्र की विचारधारा से समझौता नहीं करेगी।

संजय राउत ने कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जिन नेताओं ने शिवसेना छोड़ दी है, उन्हें शिवसेना और बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट नहीं मांगना चाहिए। अपने पिता के नाम पर वोट मांगो। साथ ही उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी एकजुट हैं।

उन्होंने कहा कि लोगों को पता चल जाएगा कि शाम तक पार्टी छोड़ने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। सीएम उद्धव ठाकरे ने जो काम किया है वह काबिले तारीफ है। हम सब उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे।

Maharashtra Shiv Sena Crisis Live Updates

महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि बैठक में क्या चर्चा हुई, यह तो आप जानते ही हैं, अहम बात यह है कि हम शिवसेना के बागी विधायकों द्वारा किए गए विश्वासघात को नहीं भूलेंगे। हम (शिवसेना) निश्चित रूप से जीतेंगे।

उधर शिवसेना के बागी विधायक दीपक केसरकर का कहना है कि हम अभी भी शिवसेना में हैं, गलतफहमी है कि हमने पार्टी छोड़ दी है। हमने अभी अपने गुट को अलग किया है। हमारे पास उस रास्ते पर चलने के लिए 2-3 तिहाई बहुमत है जो हम चाहते थे। हमारा नया नेता बहुमत से चुना गया। उनके पास 16-17 से ज्यादा विधायक नहीं थे।

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