नई दिल्ली : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज जयंती है। स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की जब भी चर्चा होती है उनका नाम काफी पहले लिया जाता है। वे उन महानायकों में से एक हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में सब कुछ झोंक दिया। उनका जन्म ओडिशा के कटक में 23 जनवरी 1897 को हुआ था। अंग्रेजों की बेड़ियों से भारत को आजाद दिलाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंग्रेजों से दो-दो हाथ करने के लिए उन्होंने आजाद हिंद फौज बनाई जिसे इंडियन नेशनल आर्मी के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अपनी फौज को जय हिंद का नारा दिया।
उनकी मौत से जुड़ी बातें आज भी रहस्य हैं लेकिन उनकी जिंदगी से जुड़े कई पहलू आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए अपनी फौज में साहस के जज्बे को भरा। उन्हें देशवासियों को नारा दिया था- 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा'। ये नारा आज भी हर भारतवासी के रोम-रोम में सिहरन पैदा कर देता है। देशप्रेम के उनके जज्बे को देखते हुए ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहा था।
ऐसे बनी आजाद हिंद फौज
उनके पिता की चाहत थी कि वे आईसीएस बनें और सरकारी पद पर बैठकर देशसेवा करें। सुभाष ने उनका सपना पूरा भी किया लेकिन उन्हें अंग्रेजों के अधीन काम करने में दिल नहीं लगा और फिर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत में बोस ने सोवियत संघ (रूस), जर्मनी और जापान सहित कई देशों की यात्राएं की।
इन देशों की यात्रा करने का उनका मकसद एक ही था अंग्रेजों को भारत से खदेड़ भगाने के लिए इन देशों की सरकारों और सेनाओं का समर्थन। उनके इस रवैये के कारण अंग्रेजों ने उन्हें कई बार जेल भी भेजा। 1941 में उन्हें एक केस के सिलसिले में कलकत्ता की एक अदालत में पेश होना था लेकिन वे वहां से भागकर जर्मनी आ गए।
1942 में वे जापान गए जहां पर उन्होंने आजाद हिंद फौज (INA) का गठन किया। इसकी स्थापना एक भारतीय क्रांतिकारी नेता रासबिहारी बोस ने की थी। इसके गठन में जापान का बड़ा हाथ था। इस फौज में 85000 सैनिक शामिल थे। इस फौज में पहले जापान में बंदी बनाए गए लोग ही शामिल थे लेकिन बाद में धीरे-धीरे बर्मा और मलाया सहित भारत के बाहर रह रहे कई देशों के लोग भी शामिल हो गए।
इस देश में शुरू हुई थी लवस्टोरी
स्वतंत्रता सेनानी बोस के बारे में हर कोई जानता है लेकिन उनकी निजी जिंदगी से जुड़ी कई बातें अभी तक लोगों को नहीं पता है। वे एक बार इलाज के लिए ऑस्ट्रिया गए थे जहां पर उन्होंने डॉक्टर की बेटी के पास अपना दिल हार गए थे। वे उस समय अपनी किताब लिख रहे थे और उन्हें इसके लिए एक अंग्रेजी टाइपिस्ट की जरूरत थी।
उसी दौरान किसी ने उन्हें ऐमिली शेंकल का नाम सुझाया जो वहां के एक मशहूर पशु चिकित्सक की बेटी थी। ऐमिली ने उनके लिए टाइपिस्ट का काम किया इसी बीच दोनों को प्रेम हुआ फिर दोनों ने 1942 में हिंदू रीति-रिवाज से शादी रचा ली।
बोस और ऐमिली की एक बेटी भी हुई लेकिन उस समय बोस किसी यात्रा पर गए थे। उन्होंने बेटी का नाम अनिता बोस रखा था। अनिता जब 2 साल 9 महीने की थी उसी समय 1945 में एक कथित विमान दुर्घटना में बोस की मौत हो गई।