नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून पर देश के अलग अलग हिस्सों में हिंसक विरोध हो रहा है जिसमें लोगों की जानें भी गई है। इस विषय पर सियासत भी जबरदस्त तरीके से हो रही है। जमीन पर हालत ये है कि धरना प्रदर्शन में शामिल होने वालों को उनकी नागरिकता छीन ली जाएगी।
ये बात अलग है कि केंद्र सरकार की तरफ से भरोसा दिया गया है कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर सरकार की बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। इस विषय पर उनसे Times Now एक एडिटर इन चीफ राहुल शिवशंकर ने खुल कर बातचीत की। प्रशांत किशोर से उन्होंने तीखे सवाल किए जिसका उन्होंने बेलौस अंदाज में जवाब दिया।
प्रशांत किशोर से एडिटर इन चीफ राहुल शिवशंकर के बीच क्या बात हुई उसे जानने और समझने से पहले प्रशांत किशोर कैब के बारे में क्या सोचना था यह जानना भी जरूरी है। 9 दिसंबर को लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पारित हो चुका था। लेकिन प्रशांत किशोर ने भारतीय संविधान का हवाला देते हुए कहा कि गलत कदम को जेडीयू ने समर्थन दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्यसभा में समर्थन न करके पार्टी को गलती सुधारनी चाहिए।
उनकी इस मुहिम में पवन वर्मा का भी साथ मिला। लेकिन राज्यसभा में भी जेडीयू ने समर्थन दे दिया। इसके बाद इस तरह की खबरे आने लगी कि प्रशांत किशोर पार्टी छोड़ सकते हैं। इस तरह के संदेहों के बादल के बीच सीएम नीतीश कुमार से मिलकर अपनी नाराजगी जताई। हालांकि सीएम नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि बिहार में एनआरसी किसी भी कीमत पर लागू नहीं की जाएगी।
Times Now से बातचीत में प्रशांत किशोर ने साफ साफ शब्दों में नागरिकता संशोधन कानून को गलत बताया। उन्होंने कहा कि ब हम इसे एनआरसी के साछ जोड़कर देखते हैं तो यह भयावह हो जाता है। यही नहीं एनआरसी के भयावह सपने की तरह साबित हो सकता है।
जेडीयू में अपने होने के बारे में प्रशांत किशोर ने कहा कि वो पार्टी में हैं। उन्होंने कहा कि वो पार्टी में रहते हुए वो सबकुछ करना चाहते हैं जिसकी वजह से पार्टी का नजरिया एनाआरसी के प्रति बदल सके। अगर नीतीश कुमार जी उन्हें भरोसा देते हैं कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा तो सीएए के मुद्दे पर पार्टी छोड़ना मुद्दा नहीं है। एनआरसी पर पार्टी के रुख से वो निराश थे।