- सुप्रीम कोर्ट में कांवड़ यात्रा, यूपी सरकार की तरफ से इजाजत, उत्तराखंड ने लगा दी है रोक
- सुप्रीम कोर्ट से खुद संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार से पूछा कि क्या कोविड का खतरा नहीं
- 25 जुलाई से 6 अगस्त तक चलेगी कांवड़ यात्रा
25 जुलाई से 6 अगस्त तक चलने वाली कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट खुद संज्ञान लेकर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से साफ कहा कि या तो वो फैसले पर पुनर्विचार करे या वो ऑर्डर पास करेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद यूपी सरकार ने विचार के लिए समय लिया और अब इस केस में अगली सुनवाई सोमवार 19 मई को होगी। इस मसले पर केंद्र सरकार की तरफ से भी हलफनामा दायर किया गया है। केंद्र सरकार ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत कांवड़ यात्रा को इजाजत दी जा सकती है।
उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा पर लगा दी है रोक
दरअसल कोविड काल के इस दौर में यूपी सरकार की तरफ से कांवड यात्रा की इजाजत मिली हुई है और उत्तराखंड सरकार ने रोक लगा दी है। तीन दिन पहले जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने पूछा था कि जब देश कोविड का सामना कर रहा है तो क्या यह उचित होगा की कांवड़ यात्रा को इजाजत दी जाए। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को हलफनामा देने के निर्देश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने पेश हलफनामे में कहा है कि प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह से रोक नहीं है। सरकार का कहना है कि कांवड़ यात्रा सांकेतिक रूप से चलायी जाएगी और सरकार इस संबंध में गाइडलाइंस बना सकती है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने अदालत से कहा कि कोरोना से संबंधित जो प्रोटोकॉल बनाए गए हैं उसका पालन होना चाहिए।
विपक्ष भी है हमलावर
कांवड़ यात्रा पर सियासत भी गरमा चुकी है। विपक्षी दलों का कहना है कि महज राजनीतिक फायदे के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार एक बार फिर लोगों को मौत के मुंह में ढकेलने का काम कर रही है। कोरोना का खतरा टला नहीं है लेकिन सरकार का इरादा कांवड यात्रा से राजनीतिक फसल काटने का है, लिहाजा तर्क कम कुतर्क ज्यादा कर रही है।