लाइव टीवी

'यौन उत्पीड़न का इरादा अहम, न कि स्किन-टू-स्किन कॉन्‍टैक्‍ट', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश

Updated Nov 18, 2021 | 12:56 IST

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्‍बे हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें यौन उत्‍पीड़न के एक मामले में कोर्ट ने कहा था कि अगर आरोपी और पीड़‍िता के बीच त्‍वचा से त्‍वचा का संपर्क नहीं होता है तो ऐसे मामलों में POCSO एक्‍ट के तहत अपराध नहीं बनता।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspBCCL
'यौन उत्पीड़न का इरादा अहम, न कि स्किन-टू-स्किन कॉन्‍टैक्‍ट', सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट ने यौन अपराध के एक मामले में बॉम्‍बे हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया
  • शीर्ष अदालत ने कहा कि यौन अपराध में इरादा ही अहम होता है, न कि त्‍वचा से त्‍वचा का संपर्क
  • हाई कोर्ट ने कहा था कि त्‍वचा से त्‍वचा के संपर्क के बगैर POCSO एक्‍ट के तहत अपराध नहीं बनता

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्‍बे हाई कोर्ट के उस आदेश को गुरुवार को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि यदि आरोपी और पीड़िता के बीच 'त्वचा से त्वचा का सीधा संपर्क नहीं हुआ' है, तो ऐसे मामलों में POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) एक्‍ट के तहत अपराध नहीं बनता। शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि कानून का मकसद किसी भी अपराधी को इससे बचने की अनुमति देना नहीं हो सकता। पीठ ने यह भी कहा कि यौन उत्पीड़न में सबसे अहम बात इसका इरादा होना है, न कि त्वचा से त्वचा का संपर्क।

जस्टिस यू यू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'जब विधायिका ने कानूनी प्रावधानों को स्‍पष्‍ट क‍िया है तो अदालतें अपने आदेश से इसमें अस्पष्टता पैदा नहीं कर सकतीं।' इस मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत की पीठ में जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी भी शामिल थीं। कोर्ट ने कहा कि शारीरिक संपर्क को त्वचा से त्वचा के संपर्क तक सीमित रखने का संकीर्ण अर्थ देने से POCSO एक्‍ट का उद्देश्य विफल हो जाएगा और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

क्‍या है मामला?

यहां उल्‍लेखनीय है कि बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 12 साल की बच्ची के साथ यौन दुर्व्‍यवहार के आरोपी पर से POCSO एक्‍ट की धारा हटा दी थी। आरोपी पर बंद कमरे में नाबालिग के वक्ष को दबाने का आरोप था। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि यह महिला की गरिमा को ठेस का मामला है, न कि यौन दुराचार का। लेकिन बॉम्‍बे हाई कोर्ट के इस फैसले पर देशभर में जोरदार बहस छिड़ गई थी, जिसके बाद राष्‍ट्रीय महिला आयोग की ओर से इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने अब इस पर स्‍पष्‍टता दी है और उसे तीन साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई। इससे पहले सत्र अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 और POCSO एक्‍ट के तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। लेकिन यह मामला फिर बॉम्‍बे हाईकोर्ट पहुंचा, जहां अदालत ने IPC की धारा 354 के तहत आरोपी को दोषी ठहराए जाने के फैसले को तो बरकार रखा, पर POCSO एक्‍ट के तहत उस पर लगाई गई धारा हटा दी थी।

बॉम्‍बे हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने बॉम्‍बे हाई कोर्ट के फैसले पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी। अब कोर्ट ने इस मामले में स्‍पष्‍टता दी है और कहा है कि यौन उत्पीड़न का इरादा ही अहम है, न कि त्वचा से त्वचा का संपर्क होना।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।