- भाजपा विधायक ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय की चुनौती दी है
- भाजपा का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी ने इस विलय को मंजूरी नहीं दी है
- बसपा विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, अर्जी पर शीर्ष अदालत में सुनवाई की मांग
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छह पूर्व विधायकों की अर्जी पर सुनवाई करेगा। विधायकों ने इस अर्जी में उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग वाली अर्जी को राजस्थान हाई कोर्ट से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की अपील की गई है। बता दें कि इन विधायकों ने साल 2019 में अपना विलय कांग्रेस में कर लिया। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने इन विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए अर्जी दाखिल की है। इसके पहले राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने गत 29 जुलाई को अयोग्यता की अर्जी ठुकरा दी।
कांग्रेस भी पहुंची है कोर्ट
इसके बाद दिलावर ने राजस्थान हाई कोर्ट का रुख किया। भाजपा विधायक की अर्जी पर कोर्ट ने 30 जुलाई को जोशी को नोटिस जारी किया लेकिन उसने स्पीकर के अधिकार पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। इस बीच मामले में खुद को एक पक्ष बनाने के लिए कांग्रेस ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई मंगलवार को होनी है जिसमें बसपा के छह विधायकों संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद्र खेरिया, लखन सिंह मीना, राजेंद्र गुढा के राजनीतिक भविष्य पर फैसला हो सकता है। राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू होने जा रहा है।
भाजपा विधायक ने विलय को दी है चुनौती
हाई कोर्ट में अपनी अर्जी लंबित होने के बीच दिलावर ने स्पीकर के 29 जुलाई के आदेश पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। दिलावर की तरफ से शीर्ष अदालत में पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अपनी दलील में कहा कि क्या इन छह विधायकों का कांग्रेस में विलय सही ठहराया जा सकता है जब कि इनकी मूल पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इसे मंजूरी नहीं दी है। कांग्रेस के साथ इन विधायकों का विल 16 सितंबर 2019 को हुआ और इस स्पीकर ने 18 सितंबर 2019 को इस विलय को मंजूर किया।
बसपा ने विलय पर उठाए हैं सवाल
कुछ दिनों पहले बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा 'राज्यसभा विधानसभा के लिए निर्वाचित होने वाले सभी छह विधायकों आर गुधा, लखन सिंह, दीप चंद, जेएस अवाना, संदीप कुमार एवं वाजिब अली को नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में कहा गया है कि चूंकि बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर जब तक इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं होती, राज्य स्तर पर कोई विलय नहीं हो सकता। पार्टी का ह्विप का उल्लंघन करने वाले विधायकों को अयोग्य करार दे दिया जाएगा।' बसपा फ्लोर टेस्ट की सूरत में कांग्रेस के खिलाफ वोट करने के लिए ह्विप भी जारी कर चुकी है।