सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को जमीयत-उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन के आरोपियों की संपत्तियों को नहीं गिराने का निर्देश देने की मांग की गई है। 10 जून की हिंसा के बाद प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) द्वारा शहर के अटाला इलाके में जावेद पंप के घर को ध्वस्त करने के एक दिन बाद जमीयन ने 13 जून को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। जावेद पंप इलाके में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़पों के पीछे कथित मास्टरमाइंड है।
हालांकि जावेद के आवास पर बुलडोजर चलाने के फैसले पर कई सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और नागरिक समाज के सदस्यों ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून के शासन का उल्लंघन है। इसके अलावा, यह भी बताया गया कि दो मंजिला इमारत जावेद पंप की पत्नी के नाम पर थी, इसलिए यह विध्वंस अवैध है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के तीन पूर्व न्यायाधीश, दिल्ली उच्च न्यायालय के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीश और छह वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना को एक संयुक्त पत्र लिखा। इसमें दंगा आरोपियों के खिलाफ योगी सरकार की कार्रवाई पर स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया गया।
आरोपियों पर चुप्पी, बुलडोजर पर हंगामा, क्या पत्थर फेंकने वालों का सही इलाज बुलडोजर ही है?
प्रयागराज में बुलडोजर कार्रवाई से एक दिन पहले कानपुर में भी इसी तरह का अभियान चलाया गया था, जहां शहर विकास प्राधिकरण (KDA) ने जफर हयात हाशमी के एक रिश्तेदार के घर को ध्वस्त कर दिया था, जो कानपुर पुलिस के अनुसार शहर में 3 जून को हुए दंगों का मास्टरमाइंड था।
प्रयागराज हिंसा के मास्टर माइंड जावेद पंप का घर ढहा रहा योगी सरकार का बुलडोजर-VIDEO