- जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकियों ने सेना के बेस कैंप को निशाना बनाया
- 18 सितंबर 2016 को हुए आतंकवादियों के इस हमले में सेना के 19 जवान शहीद हुए
- इस हमले के बाद भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स 27-28 सितंबर की रात पीओके में दाखिल हुई
नई दिल्ली : पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने चार साल पहले 18 सितंबर को कश्मीर के उरी सेक्टर में सेना के एक ठिकाने हमला किया था। आतंकियों के इस हमले में सेना के 19 जवान शहीद हो गए। सेना ने इस हमले का बदला सर्जिकल स्ट्राइक से लिया। आतंकी हमले के करीब 10 दिन बाद भारतीय सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में दाखिल हुई और वहां करीब आधा दर्जन आतंकियों के प्रशिक्षण केंद्रों को तबाह किया। भारतीय सेना की इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए।
अपनी इस कार्रवाई से सेना ने साफ कर दिया कि वह आतंकियों को कड़ा जवाब देगी और जरूरत पड़ी तो वह पीओके या दुश्मन देश में दाखिल होने से भी नहीं हिचकेगी। इस सर्जिकल स्ट्राइक की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इतने बड़े ऑपरेशन में सेना का एक भी जवान हताहत नहीं हुआ। मिशन को अंजाम देने के बाद सभी जवान सुरक्षित वापस लौट आए। सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान जवानों ने जो हौसला, साहस, वीरता एवं पराक्रम दिखाया, वह एक मिसाल बन गई। सर्जिकल स्ट्राइक के चार साल पूरे होने के मौके पर सरकार इस उपलब्धि का जश्न मना रही है। आइए जानते हैं भारतीय सेना के इस अद्भुत पराक्रम के बारे में-
- पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने 18 सितंबर 2016 को उरी के एक सैन्य ठिकाने पर हमला किया। यह हमला तड़के हुआ। इस हमले में सेना के 19 जवान शहीद हो गए।
- इस हमले का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला किया। पीओके में आतंकवादियों के कई ट्रेनिंग कैंप सक्रिय थे। सेना को इसके बारे में जानकारी थी। फिर सेना के अधिकारियों ने हमले की योजना तैयार की। इस योजना को सरकार के शीर्ष स्तर से अनुमति मिली।
- इस सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की नजर थी। पीएम मोदी ने रात भर जागकर इस ऑपरेशन का जायजा लिया। उरी हमले के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'देश इस हमले के दोषियों को कभी भूलेगा नहीं और न ही उन्हें छोड़ेगा।' इसके बाद उम्मीद की जाने लगी कि सेना जवाबी कार्रवाई करेगी।
- पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने के लिए स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम देने वाली सेना की टुकड़ी 24 सितंबर से मु्स्तैद हो गई। स्पेशल फोर्स की टीम में 30 जवान शामिल थे। इन सभी को टुकड़ियों में बांटकर अलग-अलग टार्गेट दिया गया था। ये कमांडो हाई एक्सप्लोसिव ग्रेनेड, प्लास्टिक एक्सप्लोसिव, हेक्लर एवं कोच पिस्टल, कंधे से दानी जाने वाली मिसाइलों, रॉकेल प्रॉपेल्ड ग्रेनेड्स, एके-47 असाल्ट राइफल, तावोर 21 एवं रात में देखे जा सकने वाले नाइट विजन डिवाइसेज से लैस थे।
- सर्जिकल स्ट्राइक की योजना कुछ इस तरह से बनी थी कि ताकि सभी हमलों को करीब एक साथ अंजाम दिया जाए। इसलिए पीओके के ज्यादा गहराई में स्थित आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाने वाली टीम 27 सितंबर की शाम में ही रवाना हो गई। कमांडों टीम को निर्देश थे कि सभी आतंकी ठिकानों को एक समय पर निशाना बनाया जाए ताकि आतंकियों को एक-दूसरे की मदद करने का मौका न मिल पाए।
- सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली टीम के पीओके में दाखिल होने से पहले पाकिस्तानी सीमा से सटे जम्मू-कश्मीर और पंजाब के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया 27 सितंबर की रात 10 बजे हुई।
- आतंकी ठिकानों को निशाना बनाए जाने से पहले लॉन्चपैड्स पर मौजूद संतरियों को पहले ठिकाने लगाया गया। इसके बाद जवानों ने आतंकियों पर धावा बोला।
- इस ऑपरेशन में हिस्सा लेने वाली सभी टीमें 28 सितंबर की सुबह नौ बजे अपने बेस पर वापस आ गईं।
- बताया जाता है कि इस सर्जिकल स्ट्राइक में आतंकियों के छह प्रशिक्षण केंद्र तबाह हुए। इस स्ट्राइक में अलग-अलग ठिकानों पर करीब 45 आतंकवादी मारे गए।
- भारतीय सेना के इस मिशन के दो साल बाद भारत सरकार ने 28 सितंबर को 'सर्जिकल स्ट्राइक डे' के रूप में मनाने का फैसला किया।