नई दिल्ली: पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार के औरंगाबाद जिले में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद पुलिस ने व्यापक कार्रवाई करते हुए 67 लोगों को गिरफ्तार किया है।औरंगाबाद के पुलिस अधीक्षक कांतेश कुमार मिश्रा ने बताया, 'सभी मौतें मदनपुर प्रखंड से हुई हैं। सोमवार को तीन लोगों की मौत हुई थी जबकि एक दिन पहले दो लोगों की मौत हुई थी।'
उन्होंने बताया कि इसके अलावा कथित शराब पीने के बाद बीमार हुए दो लोगों का पड़ोसी जिले गया के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। पुलिस अधीक्षक ने कहा, 'मौतों के कारणों का पता लगाना संभव नहीं है क्योंकि पुलिस के आने से पहले ही परिवार के सदस्यों ने शवों का अंतिम संस्कार कर दिया था।'
उन्होंने कहा कि बहरहाल शराबबंदी कानून का खुलेआम उल्लंघन कर क्षेत्र में नकली शराब बेचे जाने की शिकायतों का संज्ञान लिया गया है। पुलिस अधीक्षक ने कहा, 'हमने अब तक कई अवैध भट्टियों को नष्ट किया है और 67 संदिग्ध शराब तस्करों को गिरफ्तार किया है।'
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पिछले छह महीनों में कथित जहरीली शराब पीने से चार दर्जन से अधिक लोगों की गई जान
गौरतलब है कि बिहार में अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, दूसरे राज्यों से तस्करी कर लाए गए शराब की जब्ती आए दिन होने के अलावा पिछले छह महीनों में कथित जहरीली शराब पीने से चार दर्जन से अधिक लोगों की हुई है।
बिहार के मेडिकल कॉलेज के मेस से 51 लीटर शराब बरामद
हाल ही में बिहार में मेडिकल कॉलेज के परिसर में अवैध शराब पकड़ी गई थी। अवैध शराब की बिक्री के लिए आरोपियों ने टेट्रा पैक का इस्तेमाल किया था। मामला मुजफ्फरपुर जिले के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेस का है। जहां पर पुलिस की छापेमारी में 51 लीटर अवैध शराब बरामद की गई थी। बिहार में अप्रैल 2016 से शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। हालांकि, दूसरे राज्यों से तस्करी कर लाए गए शराब की जब्ती आए दिन होने के अलावा पिछले छह महीनों में जहरीली शराब से राज्य में कथित तौर पर 50 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
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बिहार में नहीं थम रहे अवैध शराब के मामले
पिछले 6 साल से बिहार में शराब बंदी होने के बावजूद लगातार जहरीली शराब पीने से लोगों के मौत के मामले सामने आते रहे हैं। इसके अलावा दूसरे राज्यों से आने वाली अवैध शराब की बिक्री भी बढ़ी है। जिसकी वजह से नीतीश प्रशासन पर सवाल उठते रहे हैं। और यह एक राजनीतिक मुद्दा भी बना गया है। तेजस्वी यादव के नेतृत्तव में विपक्ष, जहां शराबबंदी को फेल बताता रहा है। वहीं नीतीश कुमार सरकार इसे बेहद सफल बताती रही है। उसका कहना है कि सरकार की कार्रवाई का ही असर है कि बिहार में बड़े पैमाने पर अवैध शराब की बिक्री पर लगाम कसी जा सकी है। हालांकि चुनावी तौर नीतीश कुमार की जीत में , खास तौर से महिलाओं का समर्थन हासिल करने में शराबबंदी बड़ा मुद्दा रही है।