- स्वामी चिन्मयानंद केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट की दिलचस्प टिप्पणी
- 'अगर पीड़िता की वर्जिनिटी दांव पर थी तो उसने परिवार से साझा क्यों नहीं किया'
- पिछले साल चिन्मयानंद की हुई थी गिरफ्तारी, पांच महीने बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत
नई दिल्ली। स्वामी चिन्मयानंद की पहचान बताने की जरूरत नहीं है। वो संत हैं, केंद्र सरकार में मंत्री थे, शाहजहांपुर में लॉ कॉलेज चलाते है, समाजसेवी है और कहा जाता था कि वो योगी आदित्यनाथ सरकार अच्छा खासा प्रभाव भी रखते थे। स्वामी चिन्मयानंद के आचरण पर सवाल तो वैसे उठते रहे। लेकिन पिछले साल जुलाई के बाद सितारों की चाल क्या बदली उनकी दशा खराब हो गई।
चिन्मयानंद की लॉ कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा ने रेप की कोशिश का सनसनीखेज आरोप लगाया था। आरोपी स्वामी थे, राजनीतिक रसूख वाले थे तो स्वाभाविक था कि उन पर दबाव था, चूंकि बीजेपी से रिश्ता भी था तो सरकार पर भी दबाव था। आरोप- प्रत्यारोप के बीच पिछले साल सितंबर के महीने में उनकी गिरफ्तारी भी हो गई और करीब चार महीने बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिली और वो जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं।
लेकिन इस बीच एक दिलचस्प जानकारी यह आई कि जज साहेब ने जमानत देते हुए किस तरह की टिप्पणी की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जब पीड़िता की वर्जिनिटी खतरे में थी तो आश्चर्य की बात यह है कि उसने अपनी परेशानी को अपने मां बाप को बताना उचित नहीं समझी। पहली नजर में यह मामला पूरी तरह तरह तरह की शंकाओं और आशंकाओं से भरा है। ऐसा भी लगता है कि पीड़िता ने आरोपी को फिरौती के लिए ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी। इसके साथ अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी की अपनी प्रतिष्ठा रही है। लेकिन इस तरह के मामले में लंबे समय तक शामिल रहना अपने आप में शर्मसार करने वाली बात है।