- महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने धार्मिक न्यासों में पड़े सोने के भंडार को सरकारी नियंत्रण में लेने का सुझाव दिया था
- संत समाज के लोगों ने कांग्रेस नेता के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया है, उन्होंने कांग्रेसियों को एंटी-नेशनल भी करार दिया
- उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के बाद से कांग्रेस के नेताओं ने केंद्र व राज्यों की सत्ता में रहते हुए गलत तरीके से धन जमा किए
नई दिल्ली/मुंबई : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बुधवार को सुझाव दिया था कि कोरोना संकट को देखते हुए सरकार को सभी धार्मिक न्यासों में पड़े सोने के भंडार को अपने नियंत्रण में ले लेना चाहिए, जिससे सरकार को करीब 76 लाख करोड़ रुपये की सहायता मिलेगी। हालांकि उनके इस सुझाव से कई धार्मिक संगठनों से जुड़े लोग नाराज हो गए हैं।
संत समुदाय में नाराजगी
स्वामी परमहंस और महंत कमल नयन दास ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इससे पहले कि धमार्थ न्यासों से सोना लिया जाए, यह जरूरी है कि कांग्रेस नेताओं ने जो संपत्ति गलत तरीके से जमा की है, उसे जब्त किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि विगत 70 वर्षों में कांग्रेस के कई नेताओं ने केंद्र व विभिन्न राज्यों की सत्ता में रहते हुए गलत तरीके से धन जमा किए। उन्होंने कांग्रेस पर 'विभाजनकारी नीतियों' को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया।
'पहले जब्त हो कांग्रेस नेताओं की संपत्ति'
तपस्वी छावनी से जुड़े स्वामी परमहंस ने कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण के सुझाव पर तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, 'वो सोना लेने की बात करते हैं, जो भी लेना है, ले लें, लेकिन उससे पहले 70 साल से देश को लूटकर जो कांग्रेस बैठे हैं, उनकी संपत्ति जब्त करके इस महामारी में लगा दी जाए। इसके बाद वे मंदिरों की संपत्ति लेने की बात करें तो हम स्वागत करेंगे।' उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ मंदिरों ही नहीं, मस्जिदों, गिरजाघरों और सभी तरह के धार्मिक स्थलों पर जो भी संपत्ति हो, उसे सरकारी घोषित कर उसे इस महामारी से जंग में लगाया जाए।
'एंटी-नेशनल हैं कांग्रेस के लोग'
वहीं, मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास को भी कांग्रेस का सुझाव पसंद नहीं आया है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं को 'एंटी-नेशनल' करार दिया है। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के लोग राष्ट्र विरोधी हैं। ऐसा क्यों है कि वे केवल धन पाने के लिए मंदिरों के बारे में सोच रहे हैं? मस्जिद और चर्च क्यों नहीं?'
चव्हाण ने दिया था ये सुझाव
यहां उल्लेखनीय है कि पृथ्वीराज चव्हाण ने बुधवार को ट्वीट कर कहा था कि सरकार को देश में सभी धार्मिक ट्रस्टों में पड़े सोने को तुरंत अपने नियंत्रण में ले लेना चाहिए, जिसकी कीमत विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार कम से कम एक ट्रिलियन डॉलर (76 लाख करोड़ रुपये) है। सरकार 1 या 2 प्रतिशत की ब्याज दर पर बॉन्ड के माध्यम से सोना ले सकती है। आखिर यह एक आपातकालीन परिस्थिति है। उनके इसी ट्वीट पर धर्मार्थ संगठनों से जुड़े साधुओं ने प्रतिक्रिया दी है।