कश्मीर के सेब अपनी मिठास की बदौलत देशभर में मशहूर हैं।
नई दिल्ली: कश्मीर में सेब के बागान और सेब की मिठास पूरे देश में मशहूर है। इसकी मिठास का कोई जवाब नहीं है। यहीं कारण है कि कश्मीर के सेब की बाजार में अलग मांग होती है। जानकारी के मुताबिक कश्मीर में लगभग 18 लाख टन सेब पैदा होता है और यह पूरे देश की कुल पैदावार का 75 फीसदी है।
जवाहर सुरंग से लेकर उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे कुपवाड़ा तक वादी में सेब के बागान है जहां सेब की खेती होती हैं। कश्मीर में सेब उद्योग 8,000-10,000 करोड़ रुपये का माना जाता है।
जम्मू और कश्मीर में बागवानी, विशेषतौर पर सेब के बाग आमदनी का एक बड़ा जरिया हैं।जम्मू और कश्मीर में बारामुला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सेब का अधिक उत्पादन होता है। सोपोर को उसके हरे भरे बागों, बड़े घरों और संपन्नता के कारण स्थानीय लोग "लिटिल लंदन" भी कहते हैं।
जानकारी के मुताबिक जम्मू और कश्मीर में सेब की बाग़बानी 164,742 हेक्टेयर भूमि पर की जाती है जिससे वर्ष 2018-19 में 1.8 मिलियन (18,82,319) मीट्रिक टन से ज्यादा सेब का उत्पादन हुआ । जम्मू और कश्मीर सरकार के बागवानी विभाग के अनुसार जम्मू-कश्मीर में बागवानी (सेब सहित) 3.3 मिलियन लोगों के लिए आजीविका का स्रोत है।
सोपोर, बारामुला, पुलवामा, शोपियां व कुलगाम सेब उत्पादन के बड़े केंद्र हैं। दिसंबर की शुरुआत तक वादी से सेब निर्यात होता है। इसके अतिरिक्त, राज्य (अब केंद्र शासित प्रदेश) के बाहर से आने वाले मज़दूरों को पूरी कश्मीर घाटी में फैले बागों में रोजगार मिलता है। जम्मू और कश्मीर में बारामुला, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों में सेब का अधिक उत्पादन होता है। कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सेब की कई नस्लें पैदा की जाती हैं।
कश्मीर के सबसे उम्दा ‘रैड डिलीशियस’ सेब माना जाता है।बाजार में रैड डिलीशियस अक्तूबर-नवम्बर से आना शुरू होता है।
इसमें शिरीन, हजरत बली, थोक लाल, अमरी शिरीन आदि शामिल हैं लेकिन कश्मीर का सबसे अच्छा सेब रैड डिलीशियस ही माना जाता है। सेब की पूरी प्रोडक्शन यूं तो कश्मीर में होती है लेकिन इसकी बिक्री जम्मू में की जाती है। कश्मीर से सेब जम्मू मंडी में आता है और फिर यहां इसकी बिक्री होती है लेकिन साथ ही कश्मीर में भी कुछ मंडियों जैसे श्रीनगर मंडी में सेब की बिक्री की जाती है।