- आईआरसीटीसी टेंडर घोटाला केस में कुल 14 आरोपी
- लालू प्रसाद, राबड़ी देवी के अलावा तेजस्वी यादव का नाम भी
- 2019 से जमानत पर हैं तेजस्वी यादव
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव मुश्किलो ंका सामना कर सकते हैं। सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उनके सामने मुश्किल आ सकती है। दरअसल आईआरसीटीसी घोटाले में वो 2019 से जमानत पर बाहर हैं। लेकिन 25 अगस्त को उन्होंने जांच एजेंसी सीबीआई पर तरह तरह के आरोप लगा दिए जिसके बाद जांच एजेंसी ने अदालत का रुख किया। अदालत के सामने उन बातों को रखा जो तेजस्वी यादव ने कही थी। सीबीआई के पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट में जवाब दाखिल करने के लिए 28 सितंबर का वक्त दिया है। बताया जा रहा है कि यदि तेजस्वी यादव के जवाब से अदालत संतुष्ट नहीं हुई तो जमानत खारिज हो सकती है और ऐसी सूरत में गिरफ्तारी की तलवार लटक जाएगी।
प्रेंस कांफ्रेंस में सीबीआई को सुनाई थी खरी खोटी
पिछले महीने की 25 तारीख को यानी 25 अगस्त को बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने प्रेस कांफ्रेंस की थी जिसमें उन्होंने कई सवाल किए
- क्या सीबीआई अधिकारियों के मां और बच्चे नहीं होते
- क्या उनके परिवार नहीं होते
- क्या वे हमेशा सीबीआई में ही बने रहेंगे।
- क्या वे अवकाश प्राप्त नहीं होंगे।
- सिर्फ एक ही पार्टी सत्ता में बनी रहेगी।
- बेहतर है कि आप लोग संविधान के तहत काम करें।
सीबीआई ने दर्ज कराई है आपत्ति
तेजस्वी यादव के प्रेस कांफ्रेंस को सीबीआई ने गंभीरता से लिया और राउज एवेन्यू कोर्ट में अपील की। एजेंसी की अपील के बाद तेजस्वी यादव को जवाब के लिए 28 सितंबर तक की तारीख मिली है। अब सवाल यह है कि अगर तेजस्वी जवाब नहीं देते हैं तो क्या हो सकता है या उनके पास कौन से विकल्प हैं। जानकारों का कहना है कि अगर अदालत को तेजस्वी यादव का जवाब संतोषजनक नहीं लगता है तो गिरफ्तारी हो सकती है। अब इस स्थिति से बचने के लिए वो उच्च अदालत से एंटीसिपेटरी बेल की अर्जी लगाएं। या अदालत के सामने यह पक्ष रखा जा सकता है कि उन्होंने जो कुछ कहा था वो राजनीतिक बयान था क्योंकि सीबीआई के एक्शन के बाद उन्होंने बयान जारी किया है। इसके साथ ही अपनी जमानत को बचाए रखने के लिए वो अदालत के सामने सीबीआई से माफी मांग सकते हैं। लेकिन जमानत रद्द होने के केस में उन्हें एंटीसिपेट्री बेल लेनी होगी।
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आईआरसीटीसी टेंडर घोटाला
आईआरसीटीसी टेंडर घोटाले में तेजस्वी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 120 बी के साथ साथ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल है। 2019 में उन्हें जमानत मिली थी और वो तब से जमानत पर हैं। इस मामले में अगर सभी साक्ष्य उनके खिलाफ गए तो सात साल तक की सजा हो सकती है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें और उनकी मां को जमानत दी थी।
2009 में रेल मंत्री थीं ममता बनर्जी और उन्होंने आईआरसीटीसी टेंडर घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। उस समय लालू प्रसाद यादव ने कहा कि घोटाले की बात नहीं है। उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई थी उसके ईमानदारी से निभाया था। उन्हें कुछ नहीं पता है। लेकिन सीबीआई की जांच में उनके साथ कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया गया। उनके ऊपर आरोप लगा कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने अवैधानिक तरीके से एक निजी कंपनी को भुवनेश्वर और रांची के होटलों को चलाने का ठेका दिया था और उसके बदले पटना स्थित सगुना मोड़ पर निजी कंपनी ने तीन एकड़ जमीन दी।