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'एक देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे'; अनुच्छेद 370 के थे धुर विरोधी थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी

Updated Jul 06, 2021 | 06:00 IST

Syama Prasad Mukherjee: भारतीय जनसंघ के संस्थापक और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के धुर विरोधी श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज जयंती है। वो नेहरू कैबिनेट में मंत्री भी रहे।

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी

Syama Prasad Mukherjee Birth Anniversary: भारतीय जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज जयंती है। 6 जुलाई 1901 में कलकत्ता में जन्मे मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जा के खिलाफ थे और उन्होंने अपने जीवनकाल में अनुच्छेद 370 का पुरजोर विरोध किया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी बैरिस्टर और शिक्षाविद थे। उन्होंने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया। नेहरू-लियाकत समझौते के विरोध में बाद में मुखर्जी ने नेहरू के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद से उन्होंने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की जो बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) बन गई। 

मुखर्जी 1943 से 1946 तक अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष भी रहे। 1953 में जम्मू और कश्मीर पुलिस की हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई। 

जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे पर राय

मुखर्जी ने राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा मानते हुए अनुच्छेद 370 का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने संसद के अंदर और बाहर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी। भारतीय जनसंघ का लक्ष्य इसे समाप्त करना था। उन्होंने 26 जून 1952 को अपने लोकसभा भाषण में इस प्रावधान के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई। राज्य का अलग झंडा और प्रधानमंत्री के प्रवाधान पर मुखर्जी ने एक बार कहा था 'एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे।'

23 जून 1953 को हुआ निधन

भारतीय जनसंघ ने हिंदू महासभा और जम्मू प्रजा परिषद के साथ मिलकर प्रावधानों को हटाने के लिए बड़े पैमाने पर सत्याग्रह शुरू किया। 3 फरवरी 1953 को नेहरू को लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के मुद्दे को लटकने नहीं देना चाहिए। मुखर्जी 1953 में कश्मीर गए और उस कानून का विरोध करने के लिए भूख हड़ताल की, जिसने भारतीय नागरिकों को राज्य के भीतर बसने से रोक दिया। मुखर्जी जम्मू और कश्मीर जाना चाहते थे लेकिन प्रचलित परमिट प्रणाली के कारण उन्हें अनुमति नहीं दी गई। उन्हें 11 मई को लखनपुर में अवैध रूप से कश्मीर में सीमा पार करते समय गिरफ्तार किया गया था। हालांकि उनके प्रयासों के कारण आईडी कार्ड नियम को रद्द कर दिया गया था। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में एक बंदी के रूप में उनकी मृत्यु हो गई।

5 अगस्त 2019 को जब भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया तो बीजेपी समेत कई ने इस घटना को श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने का साकार होना बताया। 

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