- ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को भारी नुकसान
- यहां काम करने वाले कई मजदूरों के लापता होने की आशंका
- आईटीबीपी के जवान तपोवन सुरंग खोलने के लिए खुदाई कर रहे हैं
उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में रविवार को ग्लेशियर (Glacier,) टूटने की खबर सामने आई बताया जा रहा है कि यहां ग्लेशियर टूटने से निचले इलाकों में भी खतरा पैदा हो गया है। ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना (Tapovan-Vishnugad Hydroelectric Project) में काम करने वाले कई मजदूरों के लापता होने की आशंका है। चमोली प्रशासन ने अधिकारियों को धौलीगंगा नदी (Dhauliganga River) के किनारे बसे गांवों में रहने वाले लोगों को बाहर निकालने का निर्देश दिया है।
मीडिया सूत्रों के मुताबिक उस वक्त वहां टनल में काम करने वाले कई लोग अभी लापता बताए जा रहे हैं, धौलीगंगा नदी में ऋषि गंगा प्रोजेक्ट को बहुत नुकसान हुआ है ऐसा बताया जा रहा है, डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि हादसे में ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट ध्वस्त हो गया है।
आईटीबीपी के जवान तपोवन सुरंग खोलने के लिए खुदाई कर रहे हैं, एनटीपीसी लिमिटेड ने बताया है कि उत्तराखंड में तपोवन के पास एक हिमस्खलन ने क्षेत्र में हमारे निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना के एक हिस्से को नुकसान पहुंचाया है।
जबकि बचाव अभियान जारी है, जिला प्रशासन और पुलिस की मदद से स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।
कैसी है तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना
उत्तराखंड के चमोली जिले में साल 2004 में शुरू हुई इस परियोजना को वर्ष 2012 में बनकर तैयार हो जाना था। लेकिन उसी साल सुरंग निर्माण के दौरान कच्चे पहाड़ का कीचड़ व मलबा मशीन पर आ गिरा और वह सुरंग में ही दब गई इसके साथ ही परियोजना का कार्य भी ठप पड़ गया था। बता दें कि परियोजना की 12.3 किमी लंबी सुरंग के 8.3 किमी हिस्से में कार्य टीबीएम मशीन (TBM) से होना था यहां टीबीएम की वजह से कई साल काम ठप्प पड़ा रहा।
वहीं पिछले साल अक्टूबर में बताया गया था कि तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना पर 70 फीसद कार्य पूरा हो चुका है। उम्मीद जताई जा रही है कि परियोजना अगले वर्ष से बिजली उत्पादन करने लगेगी।इस परियोजना के पूरा होने से उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों की बिजली आवश्यकता पूरी की जाएगी।
TBM मशीन के बगैर 'Tapovan Tunnel' की बात ही अधूरी
TBM दुनिया की अत्याधुनिक मशीन है इस मशीन का टनल निर्माण में उपयोग देश में पहली बार किया गया था, कहा जाता है कि जहां कठोर चट्टानी क्षेत्र होता है, वहां ये मशीन एक माह में 800 से 900 मीटर तक पहाड़ काट देती है।
'धौलीगंगा नदी' के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी हो गई
वहीं चमोली में ग्लेशियर फटने की खबर के बाद पानी के तेज बहाव के मद्देनजर कीर्ति नगर, देवप्रयाग, मुनि की रेती इलाकों को अलर्ट पर रहने को कहा गया पानी के बहाव में कई घरों के बहने की आशंका है। घटना चमोली जिले के रेनी गांव के पास हुई, जो जोशीमठ से 26 किमी दूर है।
धौलीगंगा नदी के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी हो गई और इसके किनारे कई घर नष्ट हो गए। इस घटना के बाद प्रशासन ने निचले इलाकों के लिए अलर्ट जारी कर दिया है और इन इलाकों को खाली करा लिया गया है।
फोटो साभार- power technology