- प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी को शुक्रवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया था।
- अर्पिता मुखर्जी के घर से 20 करोड़ रुपये नकदी बरामद हुए।
- ममता बनर्जी के लिए चुनौती ठीक उसी तरह बन सकती है, जैसे शारदा घोटाले में बनी थी।
Partho Chatterjee and West Bengal Teacher Recruitment Scam:पश्चिम बंगाल में ममता सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी (Parth Chaterjee) की गिरफ्तारी ने एक बार फिर राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। जिस तरह शिक्षक भर्ती घोटाले में अब तक पार्थ चटर्जी के अलावा उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी की गिरफ्तारी हुई है और रोज नए खुलासे हो रहे हैं, उससे साफ है कि एक बार फिर राज्य में विपक्ष को ममता के खिलाफ बड़ा हथियार मिल गया है। और आने वाले समय में शिक्षक भर्ती घोटाला ममता के लिए शारदा घोटाले जैसा गले की फांस बन सकता है, खास तौर पर जब अगले दो साल में राज्य में लोक सभा चुनाव होने वाले हैं।
क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी को शुक्रवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया था। इसके पहले एजेंसी के अधिकारी चटर्जी से आवास पर शुक्रवार सुबह आठ बजे से पूछताछ कर रहे थे। इसी तरह चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukharjee)के घर से 20 करोड़ रुपये नकदी बरामद हुए। जब यह कथित शिक्षक भर्ती घोटाला हुआ था, तब चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे। ईडी को संदेह है कि अर्पिता मुखर्जी के घर से मिले नकदी और दूसरी चीजों का शिक्षक भर्ती घोटाले से सीधा कनेक्शन है।
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पूरी कहानी साल 2014 से शुरू होती है, जब पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए भर्ती अधिसूचना जारी की और फिर उसके लिए 2016 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की। इसके अलावा ग्रुप डी के लिए राज्य सरकार 2016 में ही 13 हजार कर्मचारियों की भर्ती का ऐलान किया। इस बीच 2017 में परीक्षा के परिणाम घोषित हुए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रिजल्ट में सिलीगुड़ी की बबीता सरकार का नाम टॉप 20 उम्मीदवारों में था। लेकिन आयोग ने यह सूची रद्द कर दी थी और बाद में दोबारा लिस्ट निकाली। जिसमें बबीता का नाम वेटिंग लिस्ट में चला गया। और नई लिस्ट में परेश अधिकारी जो उस वक्त विधायक थे (फिलहाल शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री हैं), की बेटी अंकिता अधिकारी पहले नंबर आ गई। इसके बाद बबीता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कलकत्ता हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि अंकिता अधिकारी को नौकरी से हटाया जाए और उनको जितना वेतन मिला है वह भी वसूला जाए। इसके बाद ग्रुप-सी और डी भर्तियों में भी अनियमितता की बाद सामने आई। और अब मामला सीबीआई और ईडी के पास है।
ममता की बढ़ सकती है राजनीतिक मुश्किल
जिस तरह शिक्षक भर्ती घोटाले में हर रोज खुलासे हो रहे हैं। उसे देखते हुए तय है कि ममता बनर्जी की राजनीतिक मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसीलिए पार्थ चटर्जी गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी का बेहद सधा हुआ बयान आया है। उन्होंने कहा है कि यदि कोई दोषी है, तो व्यक्ति को जीवन भर के लिए सजा मिलनी चाहिए। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन मैं समयबद्ध जांच चाहती हूं साथ ही मैं चेतावनी देती हूं कि अगर आप इसका इस्तेमाल मुझ पर लांछन लगाने के लिए करेंगे तो मैं आप को भी नहीं छोड़ूंगी। लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि घायल शेर ज्यादा खतरनाक होता है। नीरव मोदी, मेहुल चोकसी का क्या हुआ, हम सभी जानते हैं।
ममता बनर्जी के लिए चुनौती ठीक उसी तरह बन सकती है, जैसे शारदा घोटाले में बनी थी। साल 2013 में शारदा समूह के चिटफंड घोटाले के खुलासे ने बंगाल की राजनीति में भूचाल ला दिया था। इस घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के नाम सामने आ गए थे। और उसके बाद रोजवैली समेत कई समूहों के घोटाले सामने आए। राज्य सरकार की जांच टीम ने शारदा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन और उनकी सहोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था। और इसके बाद ममता सरकार में तत्कालीन मंत्री मदन मित्र को गिरफ्तारी कर लिया गया था। इसके अलावा सांसद मुकुल राय को भी सीबीआई की पूछताछ का सामना करना पड़ा था। बाद में मुकुल राय भाजपा में शामिल हो गए, हालांकि अब फिर से तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।