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तीस्ता सीतलवाड़ केसः SC ने पूछा- क्या आप महिला के मामले में अपवाद बना रहे...HC में मानक व्यवस्था है?

अभिषेक गुप्ता | Principal Correspondent
Updated Sep 02, 2022 | 08:43 IST

सीतलवाड़ को साल 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में कथित रूप से ‘बेगुनाह लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

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तस्वीर साभार:&nbspIANS
कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़। (फाइल)
मुख्य बातें
  • टॉप कोर्ट ने देरी पर जताई हैरानी, HC से किया सवाल
  • क्या यह गुजरात में मानक व्यवस्था है?- चीफ जस्टिस ने पूछा
  • अहमदाबाद के साबरमती केंद्रीय कारागार में तीस्ता हैं बंद

एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (एक सितंबर, 2022) को चिंता जाहिर की। साथ ही देरी पर हैरानी जताते हुए सवाल पूछा कि गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता की बेल याचिका र जवाब के लिए राज्य सरकार को नोटिस भेजने के बाद क्यों छह सप्ताह बाद 19 सितंबर को इसे सुनवाई के लिए लिस्ट किया? कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या इस तरह की परिपाटी है? कोर्ट ने सरकार को शुक्रवार (दो सितंबर, 2022) तक इसका जवाब देने के लिए कहा गया है।  

चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद उनसे कहा, "हमें अभी भी उनके खिलाफ सबूत नहीं मिला है और याचिकाकर्ता दो महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है।" चीफ जस्टिस बोले, ‘‘हम दो सितंबर को दोपहर दो बजे सुनवाई करेंगे। हमें ऐसी कोई मिसाल दें, जिसमें ऐसे मामलों में किसी महिला आरोपी को हाई कोर्ट से ऐसी तारीख मिली हो या तो यह महिला अपवाद हैं। अदालत यह तारीख कैसे दे सकती है? क्या यह गुजरात में मानक व्यवस्था है?’’ बेंच आगे बोली कि हम अंतरिम बेल देते हैं और मामले को 19 सितंबर के लिए लिस्ट करते हैं। हालांकि, इस पर मेहता ने कहा, "मैं इसका कड़ा विरोध करता हूं, मैं तर्क दूंगा कि यह हत्या के मामले से ज्यादा गंभीर है।" 

चीफ जस्टिस ने मौखिक रूप से कहा कि तीस्ता के खिलाफ आरोप सामान्य आईपीसी अपराध हैं, जिनमें जमानत देने पर कोई रोक नहीं है। वह बोले, "यह हत्या या शारीरिक चोट जैसे अपराध नहीं हैं, बल्कि दस्तावेजों में जालसाजी का मामला है। ऐसे मामलों में सामान्य विचार यह है कि पुलिस हिरासत समाप्त होने के बाद फिर से हिरासत पर जोर देने के लिए पुलिस के पास कुछ भी नहीं है।" बेंच ने इसके साथ ही गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता से ऐसा उदाहरण देने को कहा, जहां एक महिला को इस तरह के आरोपों में कैद किया गया हो और हाईकोर्ट ने विचार करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया हो। 

टॉप कोर्ट केस की अगली सुनवाई दो सितंबर दोपहर दो बजे करेगा। हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ की बेल याचिका पर इससे पहले तीन अगस्त को सूबे की सरकार को नोटिस भेजा था, जबकि केस में सुनवाई की तारीख 19 सितंबर तय की थी। अहमदाबाद के एक सेशन कोर्ट ने 30 जुलाई को केस में सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार की बेल याचिकाओं को खारिज कर दिया था। दो टूक कहा था कि अगर उन्हें रिहा किया जाता है तो गलती करने वालों में संदेश जाएगा कि कोई व्यक्ति पूरी छूट के साथ आरोप लगा सकता है और बच सकता है।

दरअसल, सीतलवाड़ को साल 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में कथित रूप से ‘बेगुनाह लोगों’  (तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित उच्च पदस्थ अधिकारियों को) को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। तीस्ता के अलावा श्रीकुमार को भी जून में अरेस्ट किया गया था। वे अहमदाबाद की साबरमती सेंट्रल जेल में बंद हैं। श्रीकुमार ने भी बेल के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाई है। तीसरे आरोपी पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट ने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया।  वह जब इस मामले में गिरफ्तार किए गए थे, तब वह एक अन्य आपराधिक मामले में पहले ही जेल में थे। (एजेंसी इनपुट्स के साथ) 

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