- बीजेपी सरकारों के बुलडोजर ऐक्शन पर खफा हुए तेजस्वी यादव
- तेजस्वी यादव बोले, क्या सिर्फ गरीबों के घरों को उजाड़ा जाएगा
- क्या मोदी जी भारतीय जमीन पर बने चीनी टॉवरों को गिराएंगे
बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बीजेपी सरकारों के बुलडोजर एक्शन पर तंज कसते हुए निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अब गरीबों का घर गिराना आसान है। आज देश के बीजेपी शासित राज्यों में क्या हो रहा है। सरकार बुलडोजर के जरिए लोगों के घरौंदों को तोड़ रही है। गरीबों के आशियाने को उजाड़ने का काम जारी है। लेकिन चीन इस देश की जमीन पर कब्जा करता है अपने टावर लगाता है लेकिन सरकार चुप रहती है।
'क्या चीन के टॉवरों को गिराएंगे'
अपने देश के गरीबों के घर गिराना आसान है मोदी जी! हिम्मत है तो इन मोबाइल टावरों पर बुलडोजर चलवा कर दिखाइये! आपके चीनी दोस्तों ने हमारे सरज़मीं पर खड़े किए हैं! वही चीनी जिनका आपमें नाम लेने की भी हिम्मत नहीं! उन्होंने कहा कि यह सरकार सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए इस तरह के काम कर रही है। चीन ने हमारी सीमा में दो गाँव बसा लिए लेकिन बुलडोज़र तो दूर इनकी हिम्मत नहीं उसके बारे में दो शब्द भी बोल सकें। बुलडोजर सिर्फ जाति धर्म देख कर ही चलायेंगे या राष्ट्र की एकता,अखंडता व संविधान की भी चिंता करेंगे? अगर अवैध निर्माण है तो इतने वर्षों तक शासन/प्रशासन क्या कर रहा था? सवाल यह है कि उन लोगों का क्या होगा जो सरकार के इस तरह के कृत्यों के खिलाफ लड़ाई नहीं सकते हैं।
सोशल मीडिया पर रिएक्शन
अभी तो शुरुआत है गलती की सजा तो मिलना ही था . इंसान के अंदर इंसानियत मर गई है और लोग जीना चाहते है, चारा चोर कहां है आज कल? कोई पत्धर को भी भगवान मान लेता है तो कोई भगवान की यात्रा पर ही पत्थर फेक देता है। कितना अन्तर होगा दोनो के संस्कारो मे?मोदी का चीन कनेक्शनl
क्या था मामला
अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ तेजस्वी यादव इतना गरम हो गए। दरअसल बुधवार को दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत उत्तरी दिल्ली नगर निगम की तरफ से कार्रवाई की जा रही थी। लेकिन कुछ लोगों ने शिकायत की है खास समाज के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। कुछ याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और अतिक्रमण हटाओ अभियान को रोकने की अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्टेटस को मेंटेन करने का निर्देश दिया। लेकिन आदेश ना मिलने का हवाला देकर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलता रहा। उसके बाद एक बार फिर याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत का रुख किया और तब जाकर अतिक्रमण हटाने वाला अभियान रोका गया।