- तेजस्वी सूर्या के नेतृत्व में BJYM कार्यकर्ताओं ने तिरंगा यात्रा निकाली।
- श्रीनगर के लालचौक से लेकर कारगिल वॉर मेमोरियल तक निकाली गई यात्रा।
- शहीद जवानों के घर के आंगन की मिट्टी लेकर पहुंचे कार्यकर्ता।
BJYM Tiranga Yatra: हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जाता है। इस दिन मां भारती की रक्षा हेतु बलिदान देने वाले सभी रणबांकुरों को भावपूर्ण नमन किया जाता है। कारगिल विजय दिवस भारत की आन-बान और शान का प्रतीक है। विश्व इतिहास में भारतीय सशस्त्र बलों के अद्भुत पराक्रम, उत्कृष्ट रण-कौशल और अटूट कर्तव्यनिष्ठा के महान प्रतीक के रूप मे 'कारगिल विजय दिवस' मनाया जाता है।
इस बार कारगिल विजय दिवस पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के नेतृत्व में BJYM कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर के लालचौक से लेकर कारगिल वॉर मेमोरियल तक दो दिवसीय तिरंगा यात्रा निकाली। इस तिरंगा यात्रा की शुरुआत सोमवार को श्रीनगर के लालचौक से हुई और 26 जुलाई मंगलवार को कारगिल के वॉर मेमोरियल पर खत्म हुई। तिरंगा यात्रा में देश के सभी प्रदेशों से, 75 से ज्यादा BJYM कार्यकर्ता अपने - अपने प्रदेश के शहीद जवानों के घर के आंगन की मिट्टी को एक कलश में लाकर इस भव्य तिरंगा यात्रा में शामिल हुए।
तेजस्वी सूर्या ने लालचौक पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा - "श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बलिदान देकर कश्मीर के कम्प्लीट संविधानिक इंटिग्रेशन के लिए जन जागरण किया था। उसी रास्ते पर जाते हुए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कॉन्स्टिटूशनल इंटिग्रेशन का काम पूर्ण किया। हम सबकी जिम्मेदारी है कि जिस राष्ट्रीय एकता को नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी के साथ भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ताओं ने सम्पन्न किया है, उसे हम आगे बढ़ाएं।"
बदल रही कश्मीर की तस्वीर
आगे तेजस्वी सूर्या ने आग्रह किया कि जो कश्मीर इतिहास में विद्या नगरी, शिक्षा नगरी के नाम से जाना जाता था, जो कश्मीर, ‘नमस्ते शारदादेवि कश्मीर पुरवासिनि’ शारदा मां की धरती माना जाता था, आतंकवाद की वजह से यहां के युवा शिक्षा के अवसर से वंचित हो रहे थे। नरेंद्र मोदी जी के अनुच्छेद 370 हटाने के बाद यहां सेन्ट्रल यूनिवर्सिटीज, प्राइवेट यूनिवर्सिटीज, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, टेक्निकल इंस्टिट्यूट, स्किल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट शुरू हो रहे हैं। आज कश्मीर के नौजवानों को डॉक्टर बनने के लिए, इंजिनियर बनने के लिए पुणे या बेंगलुरु जाना जरूरी नहीं है, क्योंकि विश्व स्तरीय शिक्षा उन्हें कश्मीर में ही प्राप्त हो रही है।
कभी मोदी ने फहराया था तिरंगा
बता दें कि श्रीनगर के लालचौक पर 30 साल पहले 26 जनवरी 1992 को नरेन्द्र मोदी ने आतंकियों की चुनौती को स्वीकार करते हुए तिरंगा फहराया था। अब एक बार फिर 30 साल बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा फहरा कर पूरे देश के सामने 1992 के इतिहास को दोहराकर नया कीर्तिमान रच दिया है। विजय दिवस के उपलक्ष्य में हुई इस तिरंगा यात्रा के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ और जम्मू - कश्मीर के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवीन्द्र रैना सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।