- भाजपा परिवारवाद को मुद्दा बनाने के लिए तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु में खास तौर से आक्रामक रणनीति दिखा सकती है।
- 2007 में भाजपा ने कर्नाटक में सरकार बना पहली बार दक्षिण भारत के किसी राज्य में सरकार बनाई थी
- तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां भाजपा अभी तक सत्ताधारी दलों के लिए चुनौती नहीं बन पाई है।
BJP National Executive Meeting: वैसे तो 2023 तक देश के 10 राज्यों में विधानभा चुनाव होने वाले हैं। जिसमें भाजपा के गढ़ गुजरात, मध्य प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। लेकिन इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी (BJP National Executive) की बैठक तेलंगाना (Telangana) की राजधानी हैदराबाद (Hyderabad) में की। साफ है कि भाजपा दक्षिण भारत में अपने विस्तार की तैयारी में हैं। और उसके लिए फिलहाल उसे सबसे मुफीद तेलंगाना लग रहा है। जहां वह परिवारवाद से लेकर हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है। और उसके संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के हैदराबाद में दिए गए संबोधन में मिल गए हैं।
तेलंगाना पर भाजपा क्यों लगा रही है दांव
भाजपा को सबसे पहले दक्षिण भारत में कर्नाटक के जरिए 2007 में सत्ता हासिल हुई थी। लेकिन 15 साल बीत जाने के बाद अभी भी पार्टी दक्षिण भारत के दूसरे बड़े राज्यों में सरकार नहीं बना पाई है। लेकिन तेलंगाना में 2018 और 2019 के चुनावों ने पार्टी की उम्मीदें बढ़ा दी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को भले ही एक विधानसभा सीट पर जीत हासिल हुई, लेकिन वोट शेयर के मामले में पार्टी तीसरे नंबर पर रही । उसे चुनावों में 6.98 फीसदी वोट मिले थे। जबकि सरकार बनाने वाली तेलंगाना राष्ट्रवादी समिति (TRS) को 46.87 फीसदी और कांग्रेस को 28.43 फीसदी वोट मिले। वहीं असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM 2.71 फीसदी और चंद्रबाबू नायडू की तेलगुदेशम पार्टी को 3.51 फीसदी मिले थे।
तेलंगाना | ||
पार्टी | विधानसभा चुनाव वोट प्रतिशत (2018) | लोक सभा चुनाव वोट प्रतिशत (2019) |
टीआरएस | 46.87 | 41.71 |
कांग्रेस | 28.43 | 29.78 |
भाजपा | 6.98 | 19.65 |
पार्टी के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव बड़ा बूस्ट लेकर आया। जब पहली बार उसे 4 लोक सभा सीटों पर जीत हासिल हुई। और वह करीब 20 फीसदी वोट हासिल करने में सफल रही है। वहीं तेलंगाना राष्ट्रवादी समिति (TRS) को 41.71 फीसदी के साथ 9 सीट और कांग्रेस को 29.78 फीसदी वोट के साथ 3 सीटों पर जीत हासिल हुई। बढ़ते वोट प्रतिशत और सरकार विरोधी लहर का फायदा उठाकर भाजपा 2023 के लिए राज्य में बड़ी जीत की उम्मीद कर रही है। और इसके लिए उसने 'बाय बाय केसीआर' के नारे पर दांव लगाया है। यहीं नहीं रिपोर्ट्स के अनुसार तेलंगाना के बीजेपी कार्यालय में एक बड़ी डिजिटल घड़ी भी लगाई है। इस घड़ी में लिखा है कि तेलंगाना सरकार के महज ... इतने दिन बचे हैं। घड़ी में हर रोज एक दिन घटता जाता है।
हैदराबाद में बोले PM मोदी- तेलंगाना में भी लोग BJP की डबल इंजन वाली सरकार का मार्ग प्रशस्त कर रहे
मोदी ने भाग्यनगर के संबोधन ने दे दिए संकेत
आने वाले समय में भाजपा तेलंगाना में किस दिशा में बढ़ेगी यह पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद के उस दावे से पता चलता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात करते हुए हैदराबाद को भाग्यनगर से संबोधित किया है। साफ है कि भाजपा हिंदुत्व का कार्ड जरूर खेलेगी। इसके पहले हैदराबाद नगर निगम चुनावों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने भी हैदराबाद का नाम भाग्यनगर कह कर संबोधित किया था। तेलंगाना में करीब 84 फीसदी हिन्दू आबादी हैं 12 फीसदी मुस्लिम आबादी है।
परिवारवाद निशाने पर
भाजपा तेलंगाना में TRS के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को परिवारवाद के सहारे घेरने की तैयारी में है। पार्टी मतदाताओं के बीच यह संदेश देना चाहती है, कि के.चंद्रशेखर राव के कार्यकाल में केवल उनके परिवार का ही भला हो रहा है। और इसके लिए वह , उनकी बेटी कविता कल्वकुंतला जो कि लोक सभा सांसद रह चुकी हैं और इस समय विधायक है, बेटे और राज्य में मंत्री केटी रामाराव और दामाद को लेकर हमलावर है। कार्यकारिणी की बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि तेलंगाना में हर योजनाओं में बड़े-बड़े भ्रष्टाचार हुए हैं। और यह सरकार परिवारवाद से घिरी हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कार्यकारिणी के समापन सत्र में परिवारवाद पर ही निशाना साधा। हालांकि उन्होंने इस दौरान केसीआर का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत साफ है कि वह जनता को क्या संदेश देना चाह रहे थे। उन्होने कहा कि आज भारत परिवारवाद की राजनीति और पुरानी मानसिकता से ऊब चुका है। आने वाले दिनों में परिवारवाद की राजनीति करने वाले ऐसे दलों के लिए टिक पाना मुश्किल है।
तुष्टीकरण नहीं तृप्तीकरण
इसी तरह उन्होंने कहा है कि लक्ष्य तुष्टीकरण नहीं तृप्तीकरण है। साफ है कि मोदी इसके जरिए तुष्टीकरण की राजनीति को विपक्ष की बताकर, तप्तीकरण की राजनीति का संदेश देना चाहते हैं। जिसका लक्ष्य उस तबके तक पहुंचना है जो अभी भाजपा का मजबूत वोटर नहीं है और धर्म-जाति के आधार पर विपक्ष को वोट दे रहा है। पार्टी, ऐसे वोटरों तक पहुंचने के लिए सरकार की उन योजनाओं का सहारा लेगी, जो उत्तर भारत के राज्यों में बड़ा वोट बैंक बनाने में कारगर रही है। इसके तहत प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन योजना, उज्जवला योजना आदि योजनाएं शामिल हैं।
दक्षिण भारत की 129 सीटों पर नजर
राज्य | कुल लोक सभा सीट | 2019 में भाजपा का प्रदर्शन |
तेलंगाना | 17 | 4 |
आंध्र प्रदेश | 25 | 0 |
कर्नाटक | 28 | 25 |
तमिलनाडु | 39 | 0 |
केरल | 20 | 0 |
भाजपा परिवारवाद के सहारे तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु में खास तौर से आक्रामक रणनीति दिखा सकती है। क्योंकि कर्नाटक में वह देवगौड़ा परिवार, तेलंगाना में के.सी.आर और तमिलनाडु में करूणानिधि परिवार पर निशाना साध कर, वोटर में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर जोर देगी। इसके अलावा हिंदुत्व एक ऐसा मुद्दा है जिसे वह केरल से लेकर दूसरे दक्षिण भारत के राज्यों में भुनाने की कोशिश करती रही है। और आने वाले समय में उसे और मजबूती से उठाएगी। इन राज्यों में 129 लोकसभा सीटें हैं। जहां पर उसे 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल 29 सीटें मिली थी। उसमें भी उसका आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल में खाता ही नहीं खुला था। इसलिए भाजपा के लिए तेलंगाना बड़ी उम्मीद है और अगर वहां पर पार्टी का दांव चला तो दक्षिण भारत के दो राज्य उसके मजबूत किले बन सकते हैं। जहां से वह दूसरे राज्यों में विस्तार की रणनीति अमल में ला सकती है।