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जम्मू : जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दागी पुलिस अधिकारी दविंदर सिंह को बृहस्पतिवार को सेवा से बर्खास्त कर दिया जिसे एक आतंकवादी मामले में गिरफ्तार किया था और बाद में उसके खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आरोपपत्र दायर किया था। यह जानकारी एक आधिकारिक आदेश से मिली। सिंह को पिछले साल जनवरी में जम्मू कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था जब वह प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर से जम्मू ले जा रहा था। मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने की थी और बाद में सिंह और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था।
तत्काल प्रभाव से हुआ बर्खास्त
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत सिंह को "तत्काल प्रभाव" से सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया। जम्मू कश्मीर प्रशासन के सामान्य विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘तदनुसार, उपराज्यपाल इसके तहत श्री दविंदर सिंह, पुलिस उपाधीक्षक (निलंबित) ... को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त करते हैं।’
पाक उच्चायोग में अपने हैंडलर के संपर्क में था दविंदर
पिछले साल जम्मू में एक विशेष अदालत के समक्ष दायर एनआईए के आरोपपत्र के अनुसार जम्मू कश्मीर पुलिस की संवेदनशील अपहरण-रोधी इकाई में तैनात सिंह पाकिस्तान उच्चायोग में अपने हैंडलर के लगातार संपर्क में था। बाद में उसे वापस इस्लामाबाद भेज दिया गया था। सिंह पर एनआईए ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को सहायता प्रदान करने का आरोप लगाया है। सिंह को उसके पाकिस्तानी हैंडलर ने जासूसी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए विदेश मंत्रालय में "संपर्क" स्थापित करने का काम सौंपा था।
दविंदर ने आतंकवादियों को मदद पहुंचाई थी
सिंह और पांच अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दायर 3,064 पृष्ठों के आरोपपत्र में प्रतिबंधित समूह के आतंकवादियों को आश्रय प्रदान करने में पुलिस अधिकारी की संलिप्तता का विवरण दिया गया है। आरोपपत्र में कहा गया है कि सिंह को उसके पाकिस्तानी हैंडलर ने विदेश मंत्रालय में संपर्क स्थापित करने के लिए कहा था ताकि वहां जासूसी गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके। एनआईए अधिकारियों ने कहा कि हालांकि, सिंह इसमें कोई प्रगति नहीं कर पाया। एनआईए ने आरोप लगाया कि सिंह ने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों की आवाजाही के लिए अपने वाहन का इस्तेमाल किया और उन्हें हथियार हासिल करने में मदद का आश्वासन भी दिया।