- द कश्मीर फाइल्स पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बाढ़
- कश्मीरी पंडितों के घाटी छोड़ने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया
- असम में एआईडीयूएफ को सांप्रदायिक तनाव का खतरा
सिनेमाघरों में द कश्मीर फाइल्स धमाल कर रही है। फिल्म समीक्षक से इसे 100 करोड़ी क्लब का हिस्सा बनने की संभावना बता रहे हैं। लेकिन सियासत भी गरम है। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी को याद रखना चाहिए कि जिस समय घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन हो रहा था उस समय केंद्र में कौन था और जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल कौन था। इन सबके बीच असम सरकार ने अपने कर्मचारियों को फिल्म देखने के लिए आधे दिन की छुट्टी की घोषणा की है और उस घोषणा पर राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। एआईडीयूएफ के अध्यक्ष बदुरद्दीन अजमल ने इस फिल्म पर बैन लगाने की अपील की है।
नेल्ली की घटना का जिक्र नहीं
धुबरी, असम के सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि मैंने #TheKashmirFiles नहीं देखी है। केंद्र सरकार, असम सरकार को इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव होगा। आज के भारत में स्थिति एक जैसी नहीं कश्मीर से परे कई घटनाएं हुईं, जिनमें असम में नेल्ली की घटना भी शामिल है, लेकिन उन पर कोई फिल्म नहीं बनी। उन्होंने कहा कि देश में एक अलग तरह का माहौल बनाया जा रहा है जिसका नतीजा बेहद खराब होने वाला है। समाज में सहिष्णुता को कम करने की कोशिश की जा रही है।
'सत्य को दबाने का प्रयास किया गया'
'The Kashmir Files'पर मचे हंगामे के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सत्य को दबाने का प्रयास किया गया। फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री की यह फिल्म घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन और उनके साथ हुई ज्यादती एवं जुल्म पर आधारित है। यह फिल्म 11 मार्च को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। कहा जा रहा है कि इस फिल्म को 1990 के दशक की सच्ची घटनाओं एवं तथ्यों के आधार पर बनाया गया है। इस फिल्म को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग सिनेमाघरों में पहुंच रहे हैं।
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केरल कांग्रेस के ट्वीट से विवाद की शुरुआत
विवाद की शुरुआत केरल कांग्रेस के सिलसिलेवार ट्वीट से हुई। केरल कांग्रेस का दावा है कि साल 1990 से लेकर 2007 के बीच के 17 सालों में आतंकवादी हमलों में कश्मीरी पंडितों से ज्यादा मुसलमान मारे गए। केरल कांग्रेस ने यह भी कहा कि जिस समय घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हुआ उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल जगमोहन थे और वह 'आरएसएस के व्यक्ति' थे।केरल कांग्रेस का यह भी कहना है कि उस समय केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी, जिसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन मिला हुआ था। कांग्रेस के इन दावों पर भाजपा ने पलटवार किया। भाजपा ने कहा कि इस फिल्म से कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया। सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और विपक्ष के टुकड़े-टुकड़े गैंग में छटपटाहट है, तुष्टिकरण की राजनीति के चलते देश को बेचने, गिरवी रखने की साजिश का पर्दा धीरे-धीरे खुल रहा है।