प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जलियांवाला स्मारक का उद्घाटन करेंगे जलियांवाला स्मारक को फिर से तैयार किया गया है। 20 करोड़ रुपये की लागत से रेनोवेशन हुआ है। 2019 में जलियांवाला नरसंहार के 100 साल पूरे हुए थे। 100 साल होने के मौके पर रेनोवेशन का फैसला किया गया था पीएम यहां 4 म्यूजियम गैलरी का भी उद्घाटन करेंगे।
स्मारक की खासियत
इसमें 4 म्यूजियम गैलरी,ऑडियो-वीडियो माध्यम से इतिहास दिखेगा,साउंड एंड लाइट शो,शहीदी कुएं को ठीक किया गया है ज्वाला स्मारक को सही किया गया। इसके साथ ही बाग में लिलि तालाब बनाया गया है, सड़कों को चौड़ा करने के साथ साथ बाग में ऑडियो नोड्स लगाए ।
जलियांवाला नरसंहार के पीछे की घटनाओं को भी जानना चाहिए
जलियांवाला का इतिहास
- 1914-1918 के बीच फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान
- ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई
- भारत में विरोध को खत्म करने के लिए मनमाने कानून बनाए
- वर्ल्ड वॉर खत्म होने के बाद भारतीयों को ढील की उम्मीद थी
- 1918 में ब्रिटिश संसद में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट पेश हुई
- इस रिपोर्ट में सीमित शासन की सिफारिश की थी
- 1919 की शुरुआत में रॉलेट एक्ट पारित हुआ
- रॉलेट एक्ट में दमनकारी नीतियों को आगे बढ़ाया गया
- इस एक्ट के तहत पब्लिक मीटिंग्स पर बैन लगा दिया गया
- महात्मा गांधी ने अप्रैल की शुरूआत में देश में हड़ताल का एलान किया
पंजाब में सबसे ज्यादा विरोध
- पंजाब में रॉलेट एक्ट का सबसे ज्यादा विरोध
- लाहौर, अमृतसर में लोग जुलूस निकाल रहे थे
- महात्मा गांधी ने पंजाब जाने का फैसला किया
- 9 अप्रैल 1919 - गांधी जी को गिरफ्तार किया गया
- अमतृसर के नेताओं को गिरफ्तार किया गया
इन घटनाओं से लोगों का गुस्सा भड़का
- 10 अप्रैल 1919 को सिविल लाइन्स तक मार्च निकाला
- भीड़ पर पुलिस ने गोलिया चलाई, कई लोग मारे भी गए
- अमृतसर में लोगों ने बैंक, रेलवे स्टेशन में तोड़फोड़ की
- हालात संभालने के लिए जनरल डायर को आदेश मिला
- जलियांवाला नरसंहार के बाद 5 जिलों में मार्शल लॉ
- लाहौर, अमृतसर, गुजरांवाला, गुजरात, लायलपुर में विरोध हुआ
- विरोध करने वालों को सबके सामने कोड़े लगाए जाने लगे
- रवींद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश उपाधि नाइटहुड का त्याग कर दिया
- नरसंहार की जांच के लिए हंटर आयोग का गठन हुआ था
जनरल डायर का क्या हुआ ?
- हंटर कमीशन के सामने डायर ने बयान दिया
- 'बिना गोली चलाए भी भीड़ कंट्रोल कर सकता था'
- 'इसके बाद भी गोली चलाने का फैसला किया'
- 'अगर गोली नहीं चलाता तो भीड़ वापस आती और हंसती'
- 'और मशीनगन होती तो और लोगों को मारता'
- 'घायल लोगों की मदद करने का कोई कारण नहीं था'
- 1920 में डायर को नरसंहार के लिए जिम्मेदार माना गया
- डायर को सेना से इस्तीफा देने का आदेश जारी हुआ
जनरल डायर को बूचर ऑफ अमृतसर कहा जाता है
डायर का जन्म 9 अक्टूबर 1864 को पंजाब में ही हुआ था ।उसे हिंदी और उर्दू भाषा आती थी ।उसके पिता शराब बनाने का काम करते थे ।जलियांवाला नरसंहार से पूरा देश गुस्से में आ गया था।ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिलने लगी थीइसके बीच सरदार उधम सिंह ने बदला लेने की कसम खाई।21 साल तक उधम सिंह ने बदला लेने का इंतजार किया।
उधम सिंह ने लिया इंतकाम
उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या करने की प्रतिज्ञा ली।चंदा जमा कर उधम सिंह विदेश गए ।अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका गए
वहां पर क्रांति के लिए और चंदा जमा किया ।जनरल डायर को मारने के लिए लंदन जाना था ।इसी बीच जनरल डायर की मौत हो गई
1927 में ब्रेन हैमरेज से डायर की मौत हुई।उधम सिंह ने पंजाब के तत्कालीन गवर्नर को मारने की योजना बनाई। माइकल फ्रांसिस ओ ड्वायर 1919 में पंजाब का गवर्नर था ।माइकल फ्रांसिस ओ ड्वायर ने जनरल डायर को गोली चलाने का आदेश दिया था ।
13 मार्च 1940 को माइकल ओ ड्वायर की हत्या की ।सेंट्रल एशियन सोसायटी की बैठक थी। लंदन के कॉक्सटन हॉल में थी बैठक माइकल फ्रांसिस ओ ड्वायर को भी स्पीच देनी थी ।उधम सिंह कॉक्सटन हॉल पहुंच गए।किताब में रिवॉल्वर छिपा के ले गए थे ।माइकल ओ ड्वायर पर दो गोलियां चलाई जिससे ड्वायर की मौके पर ही मौत हो गई।4 जून, 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया।31 जुलाई 1940 को पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई
भारतीय समाज की एकता के लिए राम मोहम्मद सिंह आजाद नाम रखा था ।उधम सिंह का असली नाम शेर सिंह था ।जनरल डायर को आज भी नफरत के साथ याद किया जाता है.. बूचर ऑफ अमृतसर जनरल डायर को लेकर महात्मा गांधी के क्या विचार थे.. ये भी जान लेते हैं। माइकल फ्रांसिस ओ ड्वायर की हत्या के बाद महात्मा गांधी के विचार क्या थे ।उधम सिंह पर गांधी जी ने क्या कहा था --उधम सिंह के बदले को गांधी जी ने इनसैनिटी कहा था।उन्होंने कहा था कि हमें बदला लेने की कोई इच्छा नहीं है।हम उस सिस्टम को बदलना चाहते हैं जिस से डायर जैसे लोग जन्म लेते हैं।