KartavyaPath: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (08 सितंबर) को कर्तव्य पथ का उद्घाटन किया। कर्तव्य पथ राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का मार्ग है। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक नए नामकरण वाले खंड का उद्घाटन सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के हिस्से के रूप में किया गया। इस सड़क के दोनों तरफ लॉन और हरियाली के साथ ही पैदल चलने वालों के लिए लाल ग्रेनाइट पत्थरों से बना पैदल पथ इसकी भव्यता को और बढ़ा देता है। इस मार्ग पर नवीनीकृत नहरें, राज्यों की खाद्य वस्तुओं के स्टॉल, नई सुविधाओं वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे।
आजादी की सुबह से लेकर 7 दशकों से अधिक समय तक वार्षिक गणतंत्र दिवस समारोहों की मेजबानी करने तक, भारत की राजधानी में ऐतिहासिक राजपथ ने औपनिवेशिक शासन को भी देखा है और एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक राष्ट्र की आन-बान-शान का भी गवाह बना है। रायसीना हिल परिसर से इंडिया गेट तक फैले राष्ट्रीय राजधानी के इस पथ का नाम सबसे पहले किंग्सवे था, जो नई दिल्ली के बीचों बीच एक राजसी केंद्रीय धुरी थी। ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम द्वारा प्रशासन के केंद्र कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित करने के बाद इसका निर्माण किया गया। आजादी के तुरंत बाद किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया और इसके लंबवत मार्ग क्वींसवे का नाम बदलकर जनपथ कर दिया गया। अब, राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है।
कर्तव्यपथ कितना अलग है राजपथ से, जानिए क्या है नया
किंग जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी क्वीन मैरी ने 15 दिसंबर, 1911 को ब्रिटिश राज की नई राजधानी की आधारशिला रखी थी। किंग की दृष्टि के अनुरूप वास्तुकार सर एडविन लुटियन और सर हर्बर्ट बेकर ने नए राजधानी शहर का निर्माण किया, जिसकी भव्यता और स्थापत्य कला ने यूरोप और अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ शहरों को टक्कर दी।
इस नई राजधानी का केंद्र बिंदु रायसीना हिल परिसर था, जिसमें राजसी वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) और नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक शाही सचिवालय थे। ग्रेट प्लेस (जिसे बाद में विजय चौक का नाम दिया गया) से इंडिया गेट तक एक भव्य मार्ग बनाया गया, जिसके दोनों तरफ हरे-भरे लॉन, फव्वारे और सजावटी लैम्पपोस्ट थे। बेकर ने राष्ट्रपति भवन के पास एक गोलाकार संसद भवन बनाया जिसका उद्घाटन जनवरी 1927 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था। दो विश्व युद्धों के बीच शहर का निर्माण किया गया था और इसे बनने में 20 साल से अधिक का समय लगा था। वायसराय इरविन ने ही 13 फरवरी, 1931 को इसका उद्घाटन किया था।
लंबे औपनिवेशिक शासन के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत के आजाद होने पर लोग रायसीना हिल से इंडिया गेट तक के मार्ग में स्वतंत्र भारत की सुबह का स्वागत करने के लिए उमड़ पड़े थे। भारत 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बन गया और राजपथ 1951 से सभी गणतंत्र दिवस समारोहों का स्थल रहा है। केवल पहला गणतंत्र दिवस समारोह इंडिया गेट परिसर के पीछे इरविन स्टेडियम (अब कैप्टन ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम) में आयोजित किया गया था, जहां राजपथ खंड समाप्त होता है।
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा नाम बदलने की मंजूरी दिए जाने और बुधवार को इस संबंध में एक सार्वजनिक नोटिस जारी किए जाने के बाद राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन को आधिकारिक तौर पर कर्तव्य पथ का नाम दिया गया। विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने बुधवार को कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान राजपथ को किंग्सवे के नाम से जाना जाता था, जबकि जनपथ को क्वींसवे के नाम से जाना जाता था। लेखी एनडीएमसी की सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद, यह महसूस किया गया कि लोकतंत्र के मूल्यों और सिद्धांतों और समकालीन नए भारत के अनुरूप राजपथ का नाम बदलने की जरूरत है। कर्तव्य पथ उन सभी को भी प्रेरित करेगा जो देश, समाज और अपने परिवारों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए इस सड़क पर आते हैं या इसे पार करते हैं।