शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना में संपादकीय लेख के माध्यम से राज्य में चल रही राजनीतिक हलचल पर टिप्पणी करते हुए भाजपा पर निशाना साधा। सामना लेख में कहा गया की कुछ दिनों पहले भाजपा की ओर ओर से कहा जाता था की राज्य को राजनीतिक परिस्थितियों में उनका हाथ नहीं लेकिन राव साहब दानवे के बयान से सभी बातें साफ हो चुकी हैं। सामना ने कहा की मीडिया में कहा जा रहा है की अमित शाह और बागी विधायकों के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग हुई जहां विधायकों को कई आश्वासन दिए गए। बागी विधायकों पर हमला करते हुए लेख में कहा गया कि राज्य में इन विधायकों के क्षेत्र में लोगों को इनको जरूरत है लेकिन ये सब होटल में आराम कर रहे हैं। आरोप लगाते हुए कहा गया की दिल्ली में बैठे भाजपाई नेताओं ने महाराष्ट्र को तीन टुकड़ों में बांटने की खतरनाक साजिश रची है। बागी विधायकों को सावधानी का संदेश देते हुए संपादकीय में कहा गया की केंद्र रेल राज्य मंत्री राव साहब दानवे ने कहा की कुछ दिनों में उनकी (भाजपा) सरकार आएगी न की बागियों की।
बागी सिर्फ मोहरा, असली खेल बीजेपी का
भारतीय जनता पार्टी की ओर से हाल-फिलहाल में दिए गए बयान लोगों को भ्रमित करनेवाले हैं। एक तरफ चंद्रकांत पाटील का कहना है कि शिवसेना में जो चल रहा है, उससे हमारा कोई संबंध नहीं है। यह उनका अंदरूनी मामला है। उसी दौरान रावसाहेब दानवे अपने शरीर पर हल्दी लगाकर, सिर पर सेहरा बांधकर कहते हैं कि ‘अब ज्यादा से ज्यादा एक-दो दिन ही विपक्ष में बैठेंगे, दो-तीन दिन में भाजपा की सरकार आ जाएगी। शिवसेना में विद्रोह से कोई लेना-देना नहीं है ऐसा कहना और दूसरी तरफ दो दिन में भाजपा की सरकार आ जाएगी। ऐसा कहना। इसमें सच्चाई क्या है? मुंबई में बागियों के मुखपत्र में एक खबर प्रकाशित हुई है। कहा जा रहा है कि श्री अमित शाह ने बागी विधायकों से वीडियो कॉन्फ्रसिंग के जरिए मधुर संवाद साधा। कहा जा रहा है कि इस संवाद में श्री शाह ने विद्रोहियों की अपात्रता के संदर्भ में चर्चा की। बागी विधायकों को कार्रवाई नहीं होने देंगे, ऐसा आश्वासन श्री शाह ने दिया, ऐसा प्रकाशित हुआ।
'अमित शाह से बातचीत के बाद बागियों में उत्साह'
अमित शाह से बातचीत के बाद बागी विधायकों में उत्साह का संचार हुआ। उत्साह और बढ़े इसके लिए गृहमंत्री शाह ने बागी विधायकों को केंद्रीय सुरक्षा प्रदान की। गुवाहाटी के विधायक शाह से बातचीत के बाद इतने खुश हो गए हैं कि उन्होंने असम में अपने ठहरने के निर्णय को और सात दिनों के लिए बढ़ा दिया है। बागी विधायकों को जो करना है उसके लिए उनके व्यवस्थापक हैं। इसमें सात-आठ मंत्री हैं, विधायक हैं। अपना मंत्रालय और विभाग छोड़कर वे महाराष्ट्र से बाहर जाकर बैठे हैं। कृषि, उच्च शिक्षा, जलापूर्ति, बागवानी आदि विभाग की लोगों की जरूरतों से जुड़े हैं, लेकिन ये मंत्री अपने विभागों को लावारिस छोड़कर गुवाहाटी के रैडिसन ब्लू होटल में बैठे हैं। यदि जनमन के प्रति जिम्मेदारी को लेकर शर्म होती तो वे मंत्रिपद से इस्तीफा देकर राज्य से बाहर गए होते, परंतु शिवसेना द्वारा दिया गया मंत्री पद बरकरार रखकर वे सिद्धांत की बात कर रहे हैं। कहते हैं कि हम महाराष्ट्र, हिंदुत्व के हित के लिए भाजपा के साथ जा रहे हैं, लेकिन महानुभाव, महाराष्ट्र पर ‘फूटने ‘ और ‘टूटने’ का संकट भाजपा की वजह से आया है, इस पर गुवाहाटी में आपके दलबदलू प्रवक्ता अभी तक मुंह नहीं खोल रहे हैं?
Maharashtra Crisis: राज्यपाल कोश्यारी ने उद्धव सरकार से मांगी रिपोर्ट- बताएं 3 दिनों में कौन-कौन से फैसले लिए
महाराष्ट्र को तीन टुकड़ों में बांटने की खतरनाक साजिश
दिल्ली में बैठे भाजपाई नेताओं ने महाराष्ट्र को तीन टुकड़ों में बांटने की खतरनाक साजिश रची है। महाराष्ट्र के सीधे तीन टुकड़े करने हैं, मुंबई को अलग करना और छत्रपति शिवराय के इस अखंड महाराष्ट्र को तबाह करने का दांव है, ऐसा खुलासा कर्नाटक के भाजपाई नेताओं ने ही किया है। इस बारे में खुद को प्रखर हिंदुत्ववादी, महाराष्ट्र समर्थक कहलवाने वालों का क्या कहना है? जो भाजपा लगातार महाराष्ट्र पर हमला कर रही है, उसी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से मार्गदर्शन लेकर ये लोग उत्साह की ऊर्जा उत्पन्न कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार को गिराने का धंधा निश्चित तौर पर कौन कर रहा है? इस साजिश का खुलासा हो जाने के बाद भी ये लोग उनके नाम के जयकारे लगा रहे हैं। उस पर शिवसेना और सरकार के पक्ष में जो खड़े हैं, उन लोगों को ‘ईडी’ की फांस में फंसाकर आवाज दबाने की कोशिश जारी ही है। महाराष्ट्र के सियासी पटल पर ये खेल और कब तक चलेगा? छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज की धर्मनिष्ठा और स्वराज्य प्रेम का उदाहरण हम देते हैं,वह स्वराज्य प्रेम आज कहां चला गया?
बात स्वाभिमान और हिंदुत्व की करना और इस तरह का अलग ही धंधा करके महाराष्ट्र द्रोहियों के हाथ मजबूत करना। ‘महाराष्ट्र के टुकड़े करनेवालों के हम टुकड़े कर देंगे, ऐसा कोई शिवसैनिक कहता तो, ‘उनसे हमारी जान को खतरा है। ऐसा कहकर शोर मचाना। बेलगांव के मराठियों पर होनेवाले जुल्म पर भी इनके मुंह बंद हो जाएंगे। शिवसेना ने इन तमाम विषयों पर न सिर्फ प्रखर भूमिका अपनाई है बल्कि सड़कों पर संघर्ष भी किया है। भारतीय जनता पार्टी से जो लोग गठजोड़ करना चाहते हैं, उन्हें महाराष्ट्र के प्रति अपने स्वाभिमान की एक बार जांच कर लेनी चाहिए। जैसा कि दानवे कहते हैं, राज्य में अगले दो दिनों में उनकी सरकार आ जाएगी, बागियों की नहीं। इसके लिए वे जल्दी में हैं, लेकिन क्या महाराष्ट्र यह पाप स्वीकार करेगा?
(सामना में संपादकीय के अंश)