प्रोजेक्ट -75 की छठी स्कॉर्पीन पनडुब्बी आईएनएस वाग्शीर को मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा लांच किया गया। चार अति-आधुनिक पनडुब्बियों आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज और आईएनएस वेला इस समय प्रयोग में हैं। जबकि आईएनएस वागीर के लिए समुद्री परीक्षण चल रहे हैं। ये सभी पनडुब्बियां महत्वाकांक्षी P75 स्कॉर्पीन परियोजना का हिस्सा हैं जिसका मकसद भारत की नौसैनिक क्षमताओं को बढ़ावा देना है।
1997 में प्रोजेक्ट की हुई थी शुरुआत
रिपोर्ट के अनुसार परियोजना की परिकल्पना अप्रैल 1997 में की गई थी। शुरू में 30 साल की योजना में भारत को 24 पनडुब्बियों का निर्माण करना था जिसमें 18 पारंपरिक और छह परमाणु-संचालित थीं। 2005 में भारत और फ्रांस ने छह स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 3.75 बिलियन डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। इस परियोजना को भारत के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स और फ्रांस के लिए DCNS जिसे अब नेवल ग्रुप कहा जाता है) द्वारा अंजाम दिया जाना था।
सात वर्षों में सबमरीन निर्माण में आई तेजी
पिछले सात वर्षों में सबमरीन निर्माण में तेजी आई है। आईएनएस कलवरी को 27 अक्टूबर, 2015 को लॉन्च किया गया था और 14 दिसंबर, 2017 को चालू किया गया था। आईएनएस खंडेरी को 12 जनवरी, 2017 को लॉन्च किया गया था और 28 सितंबर, 2019 को चालू किया गया था। आईएनएस करंज को 31 जनवरी, 2018 को लॉन्च किया गया था और 10 मार्च, 2021 को चालू किया गया था।
आईएनएस वेला को 6 मई, 2019 को लॉन्च किया गया था और 25 नवंबर, 2021 को चालू किया गया था। आईएनएस वागीर को 12 नवंबर, 2020 को लॉन्च किया गया था और फरवरी 2022 से समुद्री परीक्षण शुरू हो गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय नौसेना को सौंपे जाने के बाद ईएनएस वाग्शीर समुद्री परीक्षणों से गुजरेगा और मार्च 2024 तक नौसेना के बेड़े में शामिल होने की उम्मीद है।