- गोवा में अब कोरोना का कोई केस नहीं
- राज्य में लॉकडाउन और सीमाओं को पूरी तरह कर दिया गया था सील
- 'सोशल डिस्टेंसिंग और स्थानीय लोगों ने अपनी जिम्मेदारी को समझा'
नई दिल्ली। उम्मीद है कि एक दिन देश के सभी राज्य कोरोना के संक्रमण से आजाद हो जाएंगे। कोरोना और तेजी से पांव न पसार सके इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से कदम उठाए जा रहे हैं। इन सबके बीच गोवा को कोरोना फ्री घोषित किया गया है। यह जानना दिलचस्प है कि आखिर गोवा की तरफ से वो कौन से कदम उठाए गए जिसके बाद आज वो राज्य राहत की सांस ले रहा है।
लॉकडाउन का शिद्दत से पालन
दरअसल गोवा सकार ने देशव्यापी लॉकडाउन से दो दिन पहले ही राज्य में बाहरी आवाजाही पर पाबंदी लगा दी। इसके साथ ही बीच, रेस्टोरेंट और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई। यह फैसले तब हुए जब राज्य में कोरोना का कोई भी केस नहीं था।उत्तर गोवा के एसपी उत्कृष्ट प्रसून का कहना है कि जब कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे तो कर्नाटक और महाराष्ट्र से लगने वाली सीमा को पूरी तरह बंद करने का फैसला किया गया।
(Utkrist Prasoon, SP, North Goa)
स्थानीय लोगों का मिला सहयोग
इसके लिए अलग अलग टीमों को गठित किया गया ताकि 24 घंटे निगरानी हो सके। पुलिस टीम ने उन जगहों पर भी खास निगरानी रखी जहां सड़कें नहीं थीं या जाना मुश्किल था। इसके साथ ही स्थानीय लोगों की तरफ से मदद मिली। वो कहते हैं कि कोरोना के खिलाफ जंग में लोगों का समझाना आसान नहीं था। ज्यादातर लोगों को इस बात का डर था कि रोजमर्रा की चीजें कैसे मिलेंगी। लेकिन सरकार की तरफ से फुलप्रूफ योजनाएं बनीं और स्थानीय प्रशासन ने उसे जमीन पर उतारा।
टेस्टिंग और ट्रेसिंग पर खास जोर
गोवा में जो लोग भी चाहे लक्षण या बिना लक्षण वालों पर संदेह हुआ उन्हें तुरंत क्वारंटीन किया गया। व्यापक पैमाने पर टेस्टिंग और ट्रेसिंग पर काम शुरू हुआ। कर्नाटक और महाराष्ट्र में जब जमात के लोगों के होने की खबरें मिलीं तो प्रशासन के साथ साथ पुलिस भी सक्रिय हुई और लोगों से बार बार अपील हुई कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। जिन लोगों को किसी संदिग्ध के बारे में जानकारी मिले तो जरूर प्रशासन को सूचित करें ।