- चंदे में सबसे अधिक 1110 फीसदी की बढ़ोतरी डीएमके पार्टी के लिए हुई है।
- सबसे ज्यादा चंदा जनता दल (यू) को मिला है।
- राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना को सत्ता में नहीं रहते हुए भी 1.48 करोड़ रुपये का चंदा मिला है।
ADR Report On Regional Parties: राजनीतिक दल भ्रष्टाचार को लेकर कितने गंभीर हैं, इसकी बानगी एक बार फिर सामने आई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से 54 क्षेत्रीय दलों को चंदे में मिली रकम के विश्लेषण में इस बात का खुलासा है कि 23 राजनीतिक दल ऐसे हैं, जिन्होंने चुनाव आयोग की डेडलाइन बीत जाने के 309 दिन के बाद भी अपने चंदों की जानकारी उसे नहीं दी है। इस लिस्ट में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल से लेकर नवीन पटनायक के बीजू जनता दल से लेकर फारूक अब्दुल्ला की जेके नेशनल कांफ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की जेकेपीडीपी जैसे राजनीतिक दल भी शामिल है।
क्या है नियम
एडीआर के अनुसार, चुनाव आयोग के रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स अधिनियम 1951 के 29 सी (1) तहत राजनीतिक दलों को प्राप्त रु 20,000 से अधिक के चंदे का विवरण चुनाव आयोग को हर साल जमा करना होता है| लेकिन वित्त वर्ष 2020-21 में देखा गया है कि 54 क्षेत्रीय दलों में से केवल 6 ने समय अपने चंदे का विवरण चुनाव आयोग को जमा किया है। 25 क्षेत्रीय दलों ने डेडलाइन के बाद 3 से लेकर 167 दिनों के बीच अपना विवरण जमा किया है। वहीं 23 दलों ने 309 दिन (29 जुलाई 2022) बीत जाने के बाद भी अपना विवरण जमा नहीं किया है।
कौन से हैं दल जिन्होंने अभी तक जिन्होंने डिटेल नहीं दी
इन दलों में राष्ट्रीय जनता दल, बीजू जनता दल, इंडियन नेशनल लोकदल, जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेस, जम्मू और कश्मीर पीपुल्प डेमेक्रोटिक पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी, एआईएनआर,बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, जेकेएनपीपी, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, आईपीएफटी, जनता कांग्रेस (छत्तीसगढ़),एमजीपी,एमएनएफ,पीडीएफ,एमपीसी,पीपीए,पीडीए, आरएलएसपी, आरएसपी,यूडीपी,जेडएनपी, यूपीपीएल शामिल हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार डीएमके, एनपीएफ और एसडीएफ ऐस क्षेत्रीय दल हैं, जिन्होंने 20,000 रुपये से कम के चंदे का भी विवरण साझा किया है। जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा, एनडीपीपी, डीएमडीके तथा आरएलटीपी ने अपनी रिपोर्ट में 20 हजार से अधिक का कोई भी चंदे घोषित नहीं किया है।
जद(यू), आम आदमी पार्टी, डीएमके टॉप-3 में
रिपोर्ट के अनुसार, चंदे में सबसे अधिक 1110 फीसदी की बढ़ोतरी डीएमके के लिए हुई है। उसके बाद तेलंगाना राष्ट्र समिति(टीआरएस) को 940 फीसदी और फिर जद(यू) के चंदे में 889 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं राशि के आधार पर देखा जाय तो सबसे ज्यादा चंदा पाने वाले दल ये हैं:
क्षेत्रीय दल | चंदा (2020-21) |
जद (यू) | 60.15 करोड़ |
डीएमके | 33.93 करोड़ |
आप | 11.32 करोड़ |
आईयूएमएल | 4.16 करोड़ |
टीआरएस | 4.15 करोड़ |
एआईएडीएमके | 2.0 करोड़ |
एआईयूडीएफ | 1.48 करोड़ |
एमएनएस | 1.44 करोड़ |
सत्ताधारी दलों को सबसे ज्यादा चंदा
एडीआर रिपोर्ट से एक बात और सामने आई है कि जो क्षेत्रीय दल सत्ता में हैं, उन्हें सबसे ज्यादा चंदा मिला है। चाहे बिहार में सत्ताधारी दल जद (यू) हो, तमिलनाडु में डीएमके और दिल्ली में आम आदमी पार्टी। इन तीनों दलों को सबसे ज्यादा रकम प्राप्त हुई है। हालांकि राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना को सत्ता में नहीं रहते हुए 1.48 करोड़ रुपये का चंदा मिला है।
वहीं सत्ता में रहते हुए भी झारखंड मुक्ति मोर्चा, वाईआरएस और शिव सेना को मिले चंदे में कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार झारखंड मुक्ति मोर्चा के चंदे में 100 फीसदी, वाईआरएस के चंदे में 99.97 फीसदी और शिव सेना के चंदे में 98.90 फीसदी कमी आई है।